पिथौरागढ़ का ट्यूलिप गार्डन: 2021 के आकर्षणों में होगा शामिल

ट्यूलिप
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(पिथौरागढ़) अगले साल, 2021 की गर्मियों में, ख़ासतौर पर मार्च-मई के महीने के दौरान, पिथौरागढ़ का ट्यूलिप गार्डन आपकी छुट्टियों की लिस्ट में ज़रूर होना चाहिये।

डीएफ़ओ डॉ विनय भार्गव की देखरेख में, उत्तराखंड वन विभग ने पिछले साल मुन्स्यारी ईको पार्क में क़रीब सात हज़ार ट्यूलिप के पौधे लगाये थे। पिछले एक साल में इन पौधे ने खूबसूरत फूलों का रूप ले लिया है और इन दिनों पंचचुली पर्वत की बर्फीली चोटियों के आँगन में यह अपनी सुंदरता बिखेर रहे हैं।

न्यूजपोस्ट से बात करते हुए डॉ भार्गव ने बताया कि, “मुख्यमंत्री के प्रोत्साहन के साथ, पिथौरागढ़ वन प्रभाग ने जिला प्रशासन के सहयोग के साथ इस काम को अंजाम दिया। इस प्रॉजेक्ट के जरिये इलाके में रोज़गार के अवसर पैदा कर पलायन को रोकना है। इसके लिये स्वरोज़गार के मौक़े पैदा करने की तरफ़ भी इसके ज़रिये काम किया जा रहा है।”

2,460 मीटर की ऊँचाई पर पिथौरागढ़ का हवा पानी ट्यूलिप की प्रजातियों के पनपने के लिये पूरी तरह मुफ़ीद साबित हो रहा है। यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड वन विभाग और पर्यटन विभाग का साझा प्रयास है। इसमें उद्यान विभाग, ग्रामीण योजना विभाग भी अपना सहयोग दे रहा है। इन सभी विभागों क मेहनत का नतीजा है कि आज इस पार्क में ट्यूलिप की पाँच प्रजातियों के क़रीब बीस हज़ार बल्ब (पौधे) खिले हुए हैं। इनमें, क्वीन ऑफ नाइट, हकून, लैपटॉप, अब्बा रेड और रेड इमप्रेशन की प्रजातियों को नीदरलैंड से यहाँ लाकर, पिथौरागढ़ से क़रीब सात किमी की दूरी पर, मंदक क्षेत्र के पशुपतिनाथ मंदिर के आसपास लगाया गया था।

Queen of Night

जिला पर्यटन अधिकारी, अमित लोहानी कहते हैं कि, “मुख्यमंत्री द्वारा 13 ज़िले 13 गंतव्य योजना की घोषणा के बाद इस बारे में सोचा गया। इसके चलते यह तय किया गया कि इलाक़े के पर्यटन मैप पर एक ट्यूलिप गार्डन को लाया जाये। प्रयोग के तौर पर एक हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्र में इन पौधों को लगाया गया था। और अब इनकी सफलता के बाद हम इसे और बढ़ाने की तैयारी में हैं। आने वाले सितंबर महीने में , काग़ज़ी कार्यवाई पूरी होने के बाद हम इसे पशुपतिनाथ और मोशतमानू मंदिरों के आस पास की वन विभाग की 10 हेक्टेयर ज़मीन पर लगायेंगे। यह प्रोजेक्ट पूरा होने पर उत्तराखंड का पहला और इकलौता ट्यूलिप गार्डन होगा।”