पंचकेदारों में शामिल बाबा तुंगनाथ के कपाट खुले

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Tungnath shrine, Chopta,Rudraprayag,Uttarakhand
Tungnath Shrine

चोपता (रुद्रप्रयाग): समुद्र की सतह से 3460 मीटर (लगभग 13 हज़ार फीट) की ऊँचाई पर पंचकेदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट भी शुक्रवार को ही सुबह 11 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ कर्क लग्न में खोल दिया गया। बुधवार को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ से बाबा तुंगनाथ की उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर पहुंची थी। गुरुवार को डोली चलियाखोड, भनियाकुंड होते हुए रात्रि विश्राम के लिए चोपता पहुंची। मठापति राम प्रसाद मैठाणी व प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि शुक्रवार सुबह नौ बजे डोली तुंगनाथ के लिए प्रस्थान कि‍या और कर्क लग्न में पौराणिक विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए।अब ग्रीष्मकाल के छह माह तक यहीं पर भोले बाबा की पूजा अर्चना होगी।

”कहा जाता है कि यह मंदिर एक हज़ार वर्ष पुराना है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। मंदिर चोपता से तीन किलोमीटर दूर स्थित है।”

गौरतलब हो कि बुधवार को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ से भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली अपने प्रथम पड़ाव भूतनाथ मंदिर पहुंची थी। गुरुवार को पुजारी ने सुबह 8 बजे भगवान तुंगनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करने के बाद उत्सव डोली को अपने अगले पड़ाव के लिए रवाना किया। जैसे ही डोली अगले पड़ाव के लिए रवाना हुई, वैसे ही भक्तों के जयकारों से समूच क्षेत्र गूंज उठा। भगवान की उत्सव डोली ने चलियाखोड, भनियाकुंड होते हुए रात्रि विश्राम के लिए चोपता पहुंची। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर डोली का फूल मालाओं एवं अक्षतों से जोरदार स्वागत किया। पाव जगपुडा में क्षेत्रीय ग्रामीणों ने तुंगनाथ भगवान को सामूहिक अर्ग लगाकर मनौतियां भी मांगी गई। इस अवसर पर मठापति राम प्रसाद मैठाणी, प्रबंधक प्रकाश पुरोहित समेत भक्तजन, समिति के कर्मचारी एवं हक हकूकधारी उपस्थित थे।