पिछले दिनों पार्टी में हो रही अपनी अनदेखी पर फेंके हरीश रावत के ट्वीटर बम ने लगता है कांग्रेस के अंदर जंग छेड़ दी है। हरीश रावत ने एक और ट्वीट कर कांग्रेसी गलियारों में सरगर्मी बढ़ा दी है। रावत लिखते हैं कि “कुछ लोग मुझको सलाह दे रहे हैं कि मैं अपना मोबाइल रखूं। मैं उन दोस्तों से कहना चाहता हूं कि पूरन के जिस टेलीफोन नंबर पर आप सब लोग मुझसे कई कई बार बातचीत कर चुके हैं, वो मेरा ही नंबर है। वही एक मात्र अब मेरा सहायक है जो रात-दिन मेरे साथ रहता है मेरा बावर्ची, खानसामा,अटेंडेंस कुछ भी कह लीजिए, सब वही काम करता है। आप उसका नंबर तो भूल गए और नंबर आप खोजते फिरे ताकि औपचारिकता भी पूरी हो जाए और बुलाना भी ना पड़े। मैंने कहा मुझे बहुत अच्छा लगा, बहुत अच्छा किया, मैं तरसता रह गया लेकिन आपने नहीं बुलाया। कोई गिला नहीं, कार्यक्रम सफल होना चाहिए, कांग्रेस आगे बढ़े और कांग्रेस संघर्षशील दिखाई दे, यही मेरी कामना है।”
दरअसल पिछले दिनों कांग्रेस द्वारा आयोजित राज्य सरकार के विरोध कार्यक्रमों में रावत को ना बुलाने पर हरदा ने ट्वीटर पर अपना दर्द बयां कर दिया था। इसके जवाब में आम तौर पर शांत दिखने वाले प्रदेश अध्य़क्ष प्रीतम सिंह ने भी रावत पर निशाना साधते हुए कहा था कि रावत के स्टाफ को सभी कार्यक्रमों की सूचना दी गई थी पर वो नहीं आये तो क्या किया जा सकता है? प्रीतम ने ये भी कहा था कि रावत को ऐसा मोबाइस साथ रखना चाहिये जिससे उन से संपर्क किया जा सके।
पार्टी अध्यक्ष के इसी तंज का जवाब हरदा ने एक और ट्वीटर बम फेंक कर दिया है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि राज्य में विधानसभा चुनावों में मुंह की खाने वाली कांग्रेस ने शायद चुनावों के साल भर हो जाने के बाद भी न तो हार के कारणों की समीक्षा की है और न ही कोई सबक लिया है। क्योंकि अगर ऐसा हुआ होता तो पार्टी ये ज़रूर समझती कि चुनावों में हार का एक बड़ा कारण पार्टी में एक खेमा का खुला राज औऱ भयंकर गुटबाजी रहा। इसी के चलते पार्टी के नेता दूसरे नेताओं के खिलाफ षड़यंत्र करते रहे औऱ पार्टी का काडर बिखरता चला गया। अगर कांग्रेस के वर्तमान की बात करें तो भला ही राज्य में लोकसभा कि केवल पांच सीटें हैं लेकिन जो हालत कांग्रेस की देश में हो रखी है उस हिसाब से ये पांच सीटे भी पार्टी को नया जीवन देने में अहम योगदान दिला सकती है। लेकिन जिस तरह इस समय राज्य कांग्रेस के तमाम बड़े नेता सार्वजनिक मंचों पर भिड़ने में लगे हैं राज्य में कांग्रेस की वापसी फिलहाल सवालों के घेरे में ही दिख रही है।