बिना खाने के जंगल में सरवाइवल के गुर सीखेगी उत्तराखंड पुलिस

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उत्तराखंड पुलिस को जंगल सर्वाइवल के लिये ट्रेन किया जायेगा। इसके तहत पुलिस कर्मियों को टुकड़ियों में एक सप्ताह तक बिना राशन पानी के जंगलों में भेजा जाएगा। इन्हें अपनी जिंदगी बचाने के लिए कुछ उपकरण दिए जाएंगे ताकि ये खुद ही जंगलों में अपने भोजन पानी की व्यवस्था करने के साथ ही खुद को सुरक्षित रख सकें।

उत्तराखंड का 71 प्रतिशत इलाका जघने जंगलों से बना है। पिछले कुछ सालों से देखा गया है कि जंगल अपराधियों के छुपने का जरिया बनते जा रहे हैं। खासतौर पर माओवादी गतिविधियों के जंगलों में संचालित होने की खबरें तेजी से सामने आ रही हैं। वन तस्करों का तो काम करने का इलाका ही ऐसे घने जंगल हैं। पुलिस महानिदेशक एमए गणपति का कहना है कि “मौजूदा समय में पुलिस को जंगल ट्रेनिंग की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस लिए यह कदम उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले दस दिनों के भीतर यह ट्रेनिंग शुरू करा दी जाएगी।”

अपराधियों का जंगल में आना-जाना लगा रहता है इस कारण वे पुलिस को आसानी से चकमा देने में सफल रहते हैं। जंगलों के हालातों से अंजान पुलिस फोर्कीस के लिये इन जंगलों में जाना और अपराधियों को पकड़ना टेढ़ी खीर साबित हो जाता है।

इस वजह से दिन में ही जंगलों में काॅंबिंग करना पुलिस की मजबूरी बन जाता है।और इसका फायदा एपराधी जुर्म को अंजाम दे भागने में उठाते हैं। अब पुलिस का मकसद ऐसे जवान तैयार करना है जो कुछ दिनों तक जंगलों में अपराधियों की खोजबीन कर सकें।इसके लिए पुलिस मुख्यालय अब पीएसी की तीन और आइआरबी की दो कंपनियों में से तीस-तीस की टुकड़ी में पुलिस कर्मचारियों को प्रशिक्षण देगा। पीएसी की 31वीं वाहिनी को ऊधमसिंह नगर, 46वीं वाहिनी को नैनीताल, 40वीं वाहिनी को हरिद्वार, आइआरबी वन को अल्मोड़ा व आइआरबी-टू को देहरादून के जंगलों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इन टुकड़ियों को प्रशिक्षण के दौरान पौंछू, ड्रेगन ड्रेगर, छोटे कांटे, बरसात में जलने वाली माचिस, चकमक पत्थर, जूते, सोलर पैनल व फस्र्ट एड किट आदि दिया जाएगा। पुलिस मुख्यालय की ओर से इन दिनों इन उपकरणों की खरीद चल रही है। एक सप्ताह में यह खरीद पूरी होने की उम्मीद है।