देहरादून। उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमांउ पहाड़ी अंचलों में लगी आग पर काफी मशक्कत के बाद काबू नहीं पाया जा सका है। मई महीने में उछलते पारे और तेज हवाओं से पिछले पांच दिनों में वन सम्पदा जल रही है। पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वन महकमे के पसीने छूट रहे हैं, वहीं अब धीरे-धीरे आग गांवों के नजदीक तक पहुंचने लगी है। पौड़ी व रुद्रप्रयाग जिलों के विभिन्न गांवों के जंगलों के सुलगने से लोग भयभीत हैं।
पौड़ी जिले के खोला, नैथाणा, झिंझनीसैंण, पैंडुला पांव, नाड़ी पांव, रुद्रप्रयाग जिले के बच्छणस्यूं, खांकरा, जखोली, बष्टी, टिहरी की भिलंगना घाटी के जंगल आग की चपेट में हैं। शुक्रवार को कुमाऊं में आग लगने की 45 घटनाओं में 90 हेक्टेयर जंगल जल गए। इससे पहले गुरुवार तक कुमाऊं में आग की 264 घटनाओं में 373 हेक्टेयर जंगल जल चुका था।
491 घटनाओं में 676.835 हेक्टेयर जंगल राख
वन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो इस फायर सीजन में अब तक जंगलों में आग की 491 घटनाएं हो चुकी है। इसमें 676.835 हेक्टेयर जंगल तबाह हुआ है। कुल क्षति का आंकलन करने पर 11.25 लाख रुपये का नुकसान सामने आ रहा है। कुमाऊं क्षेत्र में जंगल अधिक तेजी से सुलग रहे हैं, जहां आग की 317 घटनाएं हो चुकी है। गढ़वाल क्षेत्र में अब तक 149 और वन्यजीव परिरक्षण क्षेत्र में 25 घटनाएं सामने आई हैं। आग से अब तक नैनीताल, चमोली और ऊधमसिंह नगर जिलों में 11.26 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया पौधरोपण भी तबाह हो गया। हल्द्वानी वन प्रभाग के जौलासाल, रामगढ़ रेंज और सूर्या गांव में भी वनाग्नि की बड़ी घटनाएं सामने आईं हैं। फिलहाल जौलासाल और रामगढ़ की आग पर काबू पा लिया गया है।
गांव तक पहुंची जंगल की आग
जंगलों में लगी आग धीरे-धीरे गांवों तक भी पहुंच रही हैं सीटीआर, रामनगर वन प्रभाग के बाद अब तराई पश्चिमी वन प्रभाग आमपोखरा रेंज के जंगल में लगी आग गांव तक पहुंच गई है। दमकल की तीन गाड़ियों ने आग पर किसी तरह काबू पाया। ओखलकांडा के दुनीधूरा, छिनारी, कलियाधूरा और सुरखाल के जंगल भी आग से घिर गए। इधर, पिथौरागढ़ के ओगला और नारायणनगर के चीड़ के जंगलों के साथ ही अस्कोट, चंपावत और टनकपुर के जंगल भी आग से धधक रहे हैं। अस्कोट मल्लिकार्जुन मंदिर परिसर तक पहुंची आग पर तो काबू पा लिया गया, लेकिन सैकड़ों पौधे नष्ट हो गए।
जंगल में आग लगाते एक साधू गिरफ्तार
चंपावत में बूम रेंज की फायर टीम ने एक साधू को सड़क किनारे जंगल में आग लगाते गिरफ्तार किया है। पकड़ा गए साधू की पहचान मोहल्ला ताड़तला, चौराह जौनपुर निवासी स्वामी रामकृष्ण तीर्थ के रूप में हुई है। आरोपित के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेजा गया है।
चंपावत के पूर्णागिरी मंदिर क्षेत्र से लगे जंगल भी सुलग रहे हैं। इसके साथ ही नैनीताल के नजदीक हनुमानगढ़ी क्षेत्र भी आग की चपेट में है। चंपावत जिले के कई जंगलों में भी आग की सूचना है। बागेश्वर के चंडिका मंदिर के पास भी जंगल धधक रहे हैं। गढ़वाल मंडल में भिलंगना, खोला और रुद्रप्रयाग क्षेत्र के जंगलों में आग से करोड़ों रुपये की वन संपदा नष्ट हो चुकी है। घनसाली क्षेत्र में तो पांच दिन से जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। ग्रामीणों के सामने चारा-पत्ती का संकट भी खड़ा हो गया है।
भिलंगना रेंज में जंगली जानवरों पर संकट
टिहरी जिले के भिलंगना रेंज के वन वीट रौंसाल, घनसाली, द्वारी, गोरिया, गिरगांव, पौखाल नैलचामी के जंगल भी पांच दिनों से धूं-धूंकर जल रहे हैं। रौंसाल क्षेत्र में लगी आग से ग्रामीण राजेंद्र प्रसाद की गोशाला के अलावा खाद्य सामग्री और बिस्तर भी जलकर रख हो गए। जंगलों में लगी आग से जहां वातावरण दूषित हो रहा है, वहीं जंगली जानवरों तथा पेयजल स्रोतों को नुकसान पहुंच रहा है। रुद्रप्रयाग जिले के बच्छणस्यूं, खांखरा, जखोली, भरदार, बष्टी सहित अन्य क्षेत्रों के जंगल बुरी तरह से आग की चपेट में आ गए हैं। कई हेक्टेयर में फैली इस आग से करोड़ों की वन संपदा और बेशकीमती जड़ी-बूटियां जलकर राख हो गई।
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग को सूचना देने के बाद भी उनकी टीमें समय से नहीं पहुंचती हैं। उन्होंने विभाग से आग बुझाने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार करने की मांग की। श्रीनगर में एसएसबी की फायरिंग रेंज से लगे जंगल तक आग पहुंची है तो नैनीताल में आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान (एरीज) और तल्ला कृष्णपुर से लेकर ताकुला तक के जंगल धधक रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी…
भिलंगना रेंज अधिकारी एसएस नेगी का कहना है कि भिलंगना रेंज में कुछ जगहों पर आग लगी थी, उस पर काबू पा लिया गया है और अन्य जगहों पर भी टीम आग बुझाने में लगी है। वन विभाग के मास्टर कंट्रोल रूम प्रभारी आशीष डिमरी का कहना कि वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के लिए कर्मचारियों के पास फावडे़, फायर टूल्स किट, हेलमेट, फेस मास्क, दरांती और बेलचा आदि संसाधन दिए गए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता गरीमा दसौनी व मीडिया प्रभारी लाल सिंह नेगी ने बताया कि पैंडुला पाव, नाड़ी पाव सहित अन्य गांवों के जंगल पिछले तीन दिनों से आग की लपटों से धधक रहे हैं लेकिन वन विभाग इसे रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। सरकार की आधी-अधूरी तैयारी का नतीजा है कि वन संपदा सीजन की शुरुआती दिनों में ही जल रहे हैं। बहरहाल, वन विभाग ने अलग-अलग क्षेत्रों में 133 क्रू स्टेशन, 336 फायर वाचर, 815 वन रक्षक, वन दरोगा, दैनिक श्रमिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तैनाती की है।