चुनावी में रण में कभी न हारने वाले ये हैं उत्तराखंड के रणबांकुरे

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2017 उत्तराखंड चुनावी समर में कई योद्धा अपना दमखम आजमाने उतरे हैं। इनमें कुछ ऐसे हैं जो पहली बार चुनावी समर में उतरे हैं तो कुछ हैं जिन्होने पहले भी इस रण में हिस्सा ले रखा है औऱ या तो अपनी कुर्सी बचा रहे हैं या फिर अपनी हारी बाज़ी को जीतने की कोशिस कर रहे हैं।

लेकिन इन सबके बीच राज्य में 11 ऐसे महारथी भी जिन्होने राज्य बनने के बाद से अब तक चुनावों में हार का मुंह नहीं देखा है। इन्हें सच में चुनावी रणभूमि का शूरवीर कह सकते हैं। साल 2012 में 7 कांग्रेसी विधायक थे जिन्होने तीसरी बार जीतकर ये रिकाॅर्ड बनाया था। हांलाकि अब उनमें से सिर्फ तीन ही कांग्रेस में हैं। इनमे स्पीकर गोविॆद सिॆह कुंजवाल जागेशवर से मैदान मे हैं वहीं प्रीतम सिंह और दिनेश अग्रवाल अपनी पारंपरिक सीटों चकराता और धरमपुर से लड़ रहे हैं।

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वहीं बीजेपी ती तरफ से ये रिकाॅर्ड बनाने वाले उसके पांच विधायक हरबंस कपूर देहरादून कैंट, मदन कौशिक हरिद्वार, बिसन सिंह चुफाल डिडीहाट और हरभजन सिंह चीमा काशीपुर से इस बार मैदान में हैं। वहीं पांचवी विधायक यमकेशवर से विजया बर्थवाल इस बार भुवन चंद्र खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूरी के समर्थन में चुनावी रेस से बाहर हैं।

इसके अलावा चार कांग्रेसी बागी भी इस बार चौथी बार विधानसभा में पहुंचने की कोशिसों में लगे हैं लेकिन इस बार बीजेपी के टिकट पर। ये हैं बाजपुर से यशपाल आर्या, कोटद्वार से हरक सिंह रावत, खानपुर से कुवंर प्रणव सिंह औऱ जसपुर से शैलेंद्र मोहन सिंघल। इन सबके साथ दो ऐसे विधायक भी हैं जिनके चुनावी सफर को ब्रेक लग गये हैं। रामनगर से विधायक रहीं अमृता रावत और बीएसपी के टिकट पर हरिद्वार जिले से विधायक रहे हरिदास।

उत्तराखंड की राजनीति में कई पहलु देखने को मिले हैं। हर बार अपने नाम पर चुनाव जिताने के बावजूद मुख्यमंत्री न बनने वाले हरीश रावत से लेकर मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हारने वाले भुवन चंद्र खंडूरी। ऐसे में इन नेताओं की ये चुनावी पारी किसी उपलब्धि से कम नही है। लेकिन लगातार बदलते समीकरणों में ये आगे कैसा खेलते हैं ये देखने वाली बात होगी।