उत्तराखंड विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई बुनियादी मुद्दे छाए रहे। भाजपा ने जहां ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से लेकर चार धाम विकास कार्यों को गिनाने की कोशिश की वहीं कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी में सरकार को घेरने को कोशिश करती रही। चुनाव प्रचार जैसे-जैसे आगे बढ़ा विकास के ये मुद्दे दफन हो गए और मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जुमे की छुट्टी पर आकर अटक गई।
कांग्रेस ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी कर राग अलापा तो भाजपा उनके सभी पुराने चिट्ठे को बाहर निकाल लाई। प्रचार के अंतिम दिन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने समान नागरिक संहिता का एक और मास्टर स्ट्रोक खेल दिया, जिससे कांग्रेस धराशायी होती दिख रही है।
मुख्यमंत्री धामी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन यह मास्टर स्ट्रोक चला। इस मुद्दे ने कांग्रेस को असहज कर दिया। कांग्रेस बार-बार मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जुमे की छुट्टी पर घिर रही थी। इसके काट के लिए देश भर में चल रहे हिजाब विवाद को उत्तराखंड की राजनीति में भी एंट्री करवाई गई। इन सबको देखते हुए भाजपा ने समान नागरिक संहिता का मास्टर स्ट्रोक खेल दिया। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व शुरू से इसके खिलाफ रहा है। जबकि भाजपा के मुख्य मुद्दों में यह शामिल रहा है, जिसे उत्तराखंड भाजपा ने आगे बढ़ा दिया है।
मुख्यमंत्री के इस मास्टर स्ट्रोक की आलोचना कर कांग्रेस ने तत्काल विरोध तो दर्ज करा दिया, लेकिन प्रदेश नेतृत्व अब इस पर विचार-विमर्श और मंथन में जुट गई है। चुनावी माहौल में वह प्रदेश भर से फीडबैक लेने का प्रयास कर रही है। ताकि इस पर एक ठोस स्टैंड लिया जा सके। हालांकि कांग्रेस के पास अभी समय ज्यादा नहीं है। कल मतदान होना है। ऐसे में चुनाव को देखते हुए कांग्रेस असमंजस में पड़ गई है।
मुख्यमंत्री धामी ने 12 फरवरी को ऐलान किया था कि उत्तराखंड में भाजपा की सरकार शपथ लेते ही प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) पर एक कमेटी बनाएगी। यह कमेटी प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड से विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के मसले पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनेगा। चाहे वे किसी भी धर्म के हों।
कांग्रेस की ओर से तत्काल इसका जवाब देते हुए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि भाजपा के पास विकास का एजेंडा ही नहीं है। वह जनता को भरमाने की कोशिश कर रही है। समान नागरिक संहिता राज्य सरकार का विषय नहीं है। यह कार्य संसद का है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा, ‘भाजपा के पास गिनने को कुछ नहीं है। भाजपा अब जो भी कोशिश कर ले, उसका जाना तय है। भाजपा की सरकार जब बनेगी ही नहीं। इसलिए समान नागरिक संहिता लागू करने की बात ही बेमाने है।
कांग्रेस ने तत्काल इसका विरोध तो किया, लेकिन उसे भी पता है कि कई लोग इसके पक्ष में हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए भाजपा के इस मास्टर स्ट्रोक का तत्काल काट निकलना आसान नहीं है। चमोली जिले के सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार संतोष सिंह कुंवर कहते हैं, ‘मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद क्षेत्र में समान नागरिक संहिता की चर्चा तो शुरू हो गयी है। खासकर शहरों और कस्बों में लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं। कल मतदान है, यह चर्चा वोट में तब्दील होता है या नहीं अभी कहना मुश्किल है।’
राज्य आंदोलनकारी रहे और दिल्ली में तीन दशक से पत्रकारिता कर रहे दाताराम चमोली कहते हैं कि उत्तराखंड देवभूमि है। वहां ऐसे किसी भी कानून का स्वागत ही होगा। राज्य आंदोलन के समय से ही प्रदेश में बुद्धिजीवियों, स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों आम लोगों एक वर्ग समान नागरिक संहिता के पक्ष में रहा है। पिछले कुछ समय से यही वर्ग प्रदेश की जनसांख्यिकी बदलाव को लेकर भी मुखर रहा है, लेकिन समय कम होने के कारण मतदान पर इसके प्रभाव का आकलन तत्काल करना मुश्किल है।
पिछले चुनाव में भाजपा तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत लेकर सत्ता पर काबिज हुई थी। पार्टी के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है। अपनी उस जीत को बरकरार रखने और दोहराने की। यदि किसी प्रकार बहुमत लेकर पार्टी सत्ता में आती है तो कांग्रेस उसे भाजपा की हार एयर अपनी जीत बताएंगे। क्योंकि आज कांग्रेस के पास केवल 10 विधायक हैं। साथ ही वह मुख्यमंत्री के इस मास्टर स्ट्रोक पर भी खुलकर मुखर हो जाएंगे। अब इस कड़े मुकाबले में शह और मात का खेल लगभग खत्म होने वाला है। परिणाम आने के बाद इस स्ट्रोक का असर कैसा रहा, इसका भी पता चल जाएगा?