कहते हैं किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है और इसके लिए उनका अच्छी शिक्षा पाना बहुत जरूरी है। पर जिस देश का युवा शिक्षा के लिए ही तरस रहा हो उस देश का प्रगति करना काफी कठिन है।
भारत मे शिक्षा के लिए सरकारों ने अनेक अभियान चलाए जिससे सभी बच्चों को शिक्षा प्राप्त हो और उस पर काफी पैसा भी खर्च होता है, पर धरातल पर स्तिथि कुछ अलग नजर आती है. इसका एक नजारा आज टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लाक के घोपलधार के राजकीय इंटर कालेज में देखने को मिला ,जहाँ छात्रों ने शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सभी छात्रों ने अपने स्कूल बैगों में सरकार और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के नाम पर एक सन्देश लिखा है।
टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लाक, घोपलधार राजकीय इंटर कालेज के सभी छात्र शिक्षको की कमी के कारण सड़को पर है, छात्र शिक्षकों की कमी के कारण अपनी पढ़ाई नही कर पा रहे. बोर्ड परीक्षा वाले छात्र सबसे ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि कुछ समय बाद बोर्ड परीक्षा होनी है और पढ़ाई के नाम पर उनके कालेज में शिक्षक शून्य के बराबर है. बस यही कारण है कि छात्र सरकार से अपनी बात पहुचाने के लिए एक अनूठे रूप से प्रदर्शन कर रहे हैं.
विद्यालय के सभी छात्र अपने बैग के ऊपर एक चार्ट चिपका कर स्कूल पहुच रहे हैं, जिसमे वो सरकार और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत से अपने यहां शिक्षकों की मांग कर रहे हैं। पहाड़ो में पहले ही सरकार कई स्कूलों को बंद कर चुकी है, जहाँ चल रहे हैं वहां शिक्षक नही है, ऐसे में प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को उन्हीं की बीजेपी सरकार पलीता लगा रही है।छात्र अपनी स्कूल में जल्द शिक्षक चाहते हैं, क्योंकि उनकी पढ़ाई ना के बराबर चल रही है, जबकि परीक्षा जल्द आने वाली है। छात्रों की माने तो उनके मुख्य विषयों के कोई भी शिक्षक यहां मौजूद नही है ,और वो खुद ही अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
इस विद्यालय में सन 2009 से रसायन विज्ञान, 2013 से हिंदी, 2014 से अंग्रेजी, 2017 से अर्थशास्त्र और एल टी, 2019 से जीव विज्ञान और राजनैतिक विज्ञान के साथ प्रधाचार्य का पद भी रिक्त है, जबकि इस विद्यालय में अच्छी खासी सँख्या में छात्र छात्राएं पढते है। वर्ष 2018-19 इस विद्यालय में 499 बच्चे, जबकि मौजूदा समय मे 520 बच्चे यहां अध्ययनरत है। ऐसे में इन बच्चों की पढ़ाई का क्या हाल होगा अंदाजा लगाना मुश्किल नही है।
छात्र लगातार सरकार से अपने शिक्षकों की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। इसके लिए वो नारेबाजी से लेकर रैली निकालकर सड़को पर प्रदर्शन कर रहे हैं। पर अभी तक उनकी सुध सरकार ने नही ली है, बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित हैं। एक तरफ सरकार पलायन को लेकर कई उपाय करने की बात करती है, पर पहाड़ो पर शिक्षा का स्तर खराब होने के कारण ही ज्यादातर लोग पलायन कर चुके हैं, क्योंकि पहाड़ो पर इसी तरह की समस्याओं के कारण लोग अपने बच्चो की पढ़ाई और भविष्य के लिए पहाड़ो से पलायन कर चुके हैं।
ऐसे में सरकार के पलायन रोकने की बात नाकाफी साबित होती है। अब देखने वाली बात ये होगी कि छात्रों का इस तरह का प्रदर्शन कर उत्तराखंड सरकार तक अपनी बात पहुँचा पाती है या नही और कब तक सरकार उन बच्चो के भविष्य की सुध लेती है ये तो आने वाला समय ही बताएगा।