देवभूमि के भगवानों के लिये क्यों आगे आना पड़ा योगी आदित्यनाथ को

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देहरादून, निवासी शिवेंद्र काफी समय से में खंडित मूर्तियों को सहेजने का काम कर रहे हैं। लेकिन अपने राज्य से कोई मदद ना मिलने के कारण उन्हें यूपी सीएम से गुहार लगानी पड़ी।जी हां, शिवेंद्र ने मूर्तियों को संजोने और उनके संस्कार के लिए मेयर से थोड़ी सी जगह मांगी थी जिसके बदले उन्हें केवल आश्वाशन मिला, फिर उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यानथ को पत्र के माध्यम से अपनी समस्या कह सुनाई जहां से उन्हें सकारात्मक जवाब मिला।

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यूपी सीएम आदित्यनाथ केवल छः दिनों में ना केवल पत्र को उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुपुर्द किया बल्कि कुछ अधिकारियों को भी इस काम पर लगा दिया कि अगर यह मसला जल्द ही खत्म नहीं होता शिकायकर्ता 14 फरवरी के बाद एक बार फिर शिकायत कर सकता है।

आपको बतादें कि शिवेंद्र वालिया पेशे से एक ऑटो चालक हैं लेकिन इसके अलावा वह शहर के गली-नुक्कड़ों व पीपल के पेड़ के नीचे पड़ी खंडित मूर्तियों को संहेजते हैं फिर उसका पूरे-नियम के साथ संस्कार करते हैं।अक्सर आते जाते सड़क के किनारे पड़ी इन खंडित मूर्तियों को संहजने के लिए शिवेंद्र ने शहर के मेयर से थोड़ी मदद मांगी थी जो ना मिलने के कारण उन्हें पड़ोसी राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखना पड़ा।

बीते साल के अगस्त में शिवेंद्र ने हजारों खंडित मूर्तियों, पुराने कैलेंडर और भगवान से जुड़ी चीजों को इकट्ठा किया और उसका पूरे रिति रिवाज के साथ संस्कार किया था।

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इस बारे में न्यूज़पोस्ट से बातचीत में शिवेंद्र ने बताया कि, “पिछले कई महीनों से मुझे थोड़ी सी जमीन देने का आश्वशान मिल रहा था ताकि मैं खंडित मूर्तियों को इकट्रठा कर सकूं और उनका संस्कार कर सकूं, लेकिन मुझे कहीं से कोई मदद नहीं मिली।बस मदद के लिए मैनें यूपी के सीएम को 8 जनवरी को पत्र लिखा और छः दिन के अंदर मेरी समस्या सुनी गई और 3 सचिवों को इस काम पर लगा दिया गया।साथ ही मेरी चिट्रठी को उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुपुर्द किया गया।”

शिवेंद्र ने कहा, “मुझे सरकार से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए केवल थोड़ी सी जमीन की मांग है जिसमें मैं मूर्तियों को संभाल सकूं और फिर उसका सारे रिति-रिवाजों से संस्कार कर सकूं।मुझे लगभग एक साल से ज्यादा हो चुका है और मैं आगे भी यह काम करना चाहता हूं इसलिए मुझे अपनी सरकार से केवल यह छोटी सी मदद चाहिए।”

शिवेंद्र कहते हैं कि, “मैं इस पहल को आगे भी करता रहूंगा क्योंकि इससे और कुछ तो नहीं मन की शांति और मूर्तियों को इधर-उधर ठोकरे खाने से तो बचा ही लूंगा। खंडित मूर्तियों को इधर-उधर रख कर हम केवल अपने धर्म की दुर्गति कर रहे हैं।”

अपनी इस पहल के माध्यम से शिवेंद्र सबसे कहना चाहते हैं कि अपने घर की पुरानी और खंडित मूर्तियों को सड़क,नाली,दिवार आदि पर रखने से बेहतर विकल्प है उसको किसी पेड़ के नीचे मिट्टी में दबाना।इससे कम से कम पुरानी मूर्तियां जानवरों का आहार और लोगों के पैरों को नीचे आने से बच जाएंगी।

इसके अलावा जो भी शिवेंद्र के साथ इस मुहिम में जुड़ना चाहते हैं वह इनसे संपर्क कर सकते हैं, मोबाइल नंबरः 9412972202