कोरोना का असरः जून में पर्यटकों के बिना वीरान है फूलों की घाटी

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घाटी
कोरोना महामारी का असर विश्व धरोहर फूलों की घाटी पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ा है। जून महीने में बड़ी संख्या में प्रकृति प्रेमी पर्यटक घाटी का दीदार करने पंहुचना शुरू हो जाते थे लेकिन इस बार कोरोना ने प्रकृति की इस अनमोल धरोहर को भी अछूता नहीं रखा है। इस बार फूलों की घाटी पर्यटकों की आवाजाही के लिए नहीं खुल सकी है। केवल विभागीय गतिविधियों के लिए घाटी को खोला गया है। गत वर्ष करीब 18 हजार देशी-विदेशी पर्यटकों ने फूलों की घाटी की सैर की थी।
  • पिछले साल करीब 18 हजार पर्यटकों ने की थी फूलों की घाटी की सैर
  • 27.60 लाख रुपये का राजस्व हुआ था अर्जित 
विश्व धरोहर फूलों की घाटी हर वर्ष एक जून को देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही के लिए खुलती रही है लेकिन इस वर्ष कोरोना की छाया इस पर भी पड़ गई है। राज्य के अन्य पार्को की ही तरह फूलाें की घाटी राष्ट्रीय पार्क को भी पर्यटकों की आवाजाही के लिए नहीं खोला जा सका है। हालांकि सोमवार को फूलों की घाटी को विभागीय गतिविधियों के लिए खोल दिया गया है। फूलों की घाटी रेंज के वन कर्मियों ने घाटी के प्रवेश द्वार पर पंहुचकर विभागीय गतिविधियों के लिए प्रवेश द्वार खोला दिया है।
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15 जुलाई से 15 सितंबर के बीच फूलों की घाटी अपने पूरे यौवन पर रहती है। इस बीच विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या मे घाटी मे पंहुचते है लेकिन जून महीने मे ही घाटी खुलने के बाद हेमकुंड  साहिब व लोकपाल की यात्रा करने वाले अनेक प्रकृति प्रेमी श्रद्धालु व पर्यटक भी घाटी मे आवागमन करते है। जो इस बार नहीं दिख रहा है। कोरोना के कारण अभी हेमकुंड साहिब-लोकपाल, लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी नहीं खुल सके हैं।
फूलों की घाटी के रेंज अफसर बृजमोहन भारती के अनुसार विभागीय गतिविधियों के लिए फूलों की घाटी को खोल दिया गया है। बर्फ पिघलने के बाद घाटी मे किसी प्रकार के वन्य जीव व वन अपराध के साथ ही बेशकीमती जडी-बूटियों का दोहन ना हो, इसके लिए विभाग की लंबी दूरी की गश्त व अन्य गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि घाटी में अभी भी कुछ स्थानों पर डेढ़ से दो फीट तक बर्फ जमी है जबकि घूसाधार , द्वारी पैरा , बामण धौड व नागताल ग्लेशियर प्वांइट ग्लेशियर से पटे हैं।
भारती ने बताया कि गत वर्ष 01 जून से 31 अक्टूबर तक 17 हजार 950 पर्यटकों ने घाटी की सैर की, जिनमें 17 हजार 100 भारतीय व 850 विदेशी पर्यटक थे। इनसे पर्यटन शुल्क के रूप मे 27 लाख 60 हजार रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। उन्होने कहा कि घाटी मे देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही के लिए अभी कोई गाइड लाइन प्राप्त नहीं हुई है। कोरोना को देखते हुए जो भी निर्देश होंगे, उसी के आधार पर घाटी को आवागमन के लिए खोला जा सकेगा।