देहरादून, एक कहावत है “तू डाल डाल मैं पात पात” कुछ ऐसा ही नजारा उत्तराखंड कांग्रेस में भी नजर आ रहा है। राज्य में अपने अस्तित्व की लड़ाई को लड़ रही कांग्रेस अपने धुर विरोधी भारतीय जनता पार्टी को इन हालात मे कैसे मुकाबला कर पाएगी यह बात सातों प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को समझ में आ रही है या नहीं। आपसी मतभेद इतने बढ़ गए हैं कि कांग्रेसी नेता ही कांग्रेस पर निशाना साध रहा है।
ऐसे में किशोर उपाध्याय अपनी ढपली अपना राग अकेले अकेले बजा रहे हैं ना तो संगठन और ना ही वरिष्ठ नेता किशोर का साथ दे रहे है, सवा साल का समय बीत गया है अभी तक प्रदेश में प्रीतम सिंह अपनी कार्यकारिणी को अंतिम रूप नहीं दे पा रहे हैं, जिसका मुख्य कारण आपसी गुटबाजी का चरम पर पहुंचना है ।थक हार कर प्रीतम सिंह आलाकमान के दर पर अपनी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं, पर वहां पर भी मायूसी ही हाथ लग रही है।
राज्य में कांग्रेस 4 गुटों में फटी हुई नजर आ रही है सबसे महत्वपूर्ण गुण पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का है जिनको बीते दिनों में प्रदेश कांग्रेस ने दर किनारे करने की भूल करी। जमीनी नेता हरीश रावत ने अपने लगातार दौरों से गढ़वाल और कुमाऊं में अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट कर दिया, जिसके चलते प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की मुसीबतें बढ़ने लगी, ऐसे में प्रीतम सिंह के साथ नजर आने वाली इंदिरा हृदयेश भी धीरे-धीरे किनारा करने लगी। इंदिरा हृदयेश और हरीश रावत में 36 का आंकड़ा बढ़ता चला गया।
बीते दिनों में कांग्रेस कार्यकाल में मुख्यमंत्री पद को लेकर पहले नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हिरदेश ने सवाल उठाए तो जवाब में हरीश रावत ने कई सवाल खड़े कर दिए, अब यह तल्खी धीरे-धीरे बढ़ने के आसार बनने लगे हैं। ऐसे में प्रीतम सिंह के लिए चुनौती है वह सवा साल बीतने के बाद किस तरह से अपनी प्रदेश कार्यकारिणी बनाएं और जिला और बूथ पर कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारी सौंपे।
आने वाले समय में नगर निकाय चुनाव सामने हैं उसमें प्रीतम सिंह को अपना रिजल्ट सुधार के अपनी परफॉर्मेंस दिखानी है, जमीनी स्तर पर कांग्रेस को मजबूत बनाना होगा और कार्यकर्ताओं को एकजुट करना होगा, लेकिन ऐसे आसार पहली पंक्ति और दूसरी पंक्ति के नेताओं के बयानों से दम तोड़ते नजर आ रहे हैं और कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में चार टुकड़ों में बटी कांग्रेस पर नजर बनाए हुए हैं। अब देखना यह है कि आलाकमान के दखल के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी किस हद तक काबू में आ पाएगी और कांग्रेस एक बार फिर अपने विरोधियों को टक्कर देने की स्थिति में नजर आएगी।