उत्तराखंड ने ग्रीन बोनस के साथ मांगे 7650 करोड़

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उत्तराखंड हर साल देश और दुनिया को 40 हजार करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाएं देता है। ऐसे में राज्य को इसके बदले कम से कम 10 फीसद, यानी 4000 करोड़ रुपये सालाना ग्रीन बोनस के रूप में मिलना चाहिए। नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके अलावा 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से हुई हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में 2000 करोड़ सालाना व लंबित जलविद्युत परियोजनाओं से हो रही हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में 1650 करोड़ रुपये सालाना की मांग केंद्र सरकार से की।

राष्ट्रपति भवन में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने पर्वतीय राज्यों के लिए अलग मंत्रालय या नीति आयोग में ही प्रकोष्ठ बनाए जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति, अंतरराष्ट्रीय सीमा एवं संवेदनशीलता, सामरिक महत्व को देखते हुए राज्य में अवस्थापना सुविधाओं के विकास की जरूरत है। इसके लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम को व्यवहारिक बनाया जाना चाहिए।

डिजिटल उत्तराखंड पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि

  • राज्य में ई-गवर्नेंस के तहत सभी 13 जनपदों में ई-डिस्ट्रिक्ट सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
  • राज्य में 1,04,06000 लोगों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं।
  • निर्वाचन, सेवायोजन, परिवहन, जल, ऊर्जा आदि विभाग तमाम सेवाएं ऑनलाइन मुहैया करा रहे हैं।
  • जीएसटी को पूरी तरह से लागू करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
  • अभी तक राज्य के 78 फीसद व्यापारियों को वैट से जीएसटी में पंजीकृत किया जा चुका है।
  • जल्द जीएसटी विधानसभा में पारित किया जाएगा।
  • औद्योनिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, डेरी विकास आदि की योजनाओं के माध्यम से 2022 तक कृषकों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य है।
  • राज्य सरकार का लक्ष्य राज्य का शत प्रतिशत उर्जीकरण, लोगों को 24 घंटे सस्ती दरों पर विद्युत आपूर्ति देने का है। इसके लिए जलविद्युत, सौर ऊर्जा, गैस आधारित ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • राज्य की तमाम परियोजनाएं केंद्र से प्रतिबंधित होने के कारण राज्य को सालाना 1650 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
  • इसके अलावा उन्होंने भगीरथी इको सेंसटिव जोन में 20 डिग्र्री से अधिक के स्लोप को स्टीप स्लोप माने जाने के नियम में संशोधन की मांग भी की। उन्होंने कहा कि इससे राज्य के बड़े क्षेत्र में विकास अवरुद्ध हो रहा है।
  • सीमांत क्षेत्र के 337 गांवों को विस्थापित करने के लिए वन भूमि के प्रयोग में शिथिलता और इस पर व्यय होने वाली राशि के सहयोग की मांग भी केंद्र से की।
  • राज्य के 16793 गांवों में से 3086 गांव अभी मोबाइल कनेक्टिविटी से अछूते हैं। मुख्यमंत्री रावत ने नीति आयोग की बैठक में कहा कि इन गांवों को डिजिटल इंडिया के तहत मजबूत करने के लिए सबसे पहले दूरसंचार से जोड़ना होगा। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से सहयोग की मांग की।

नीति आयोग की बैठक में 15 वर्षीय विजन के तहत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में इसके लिए छह ग्रोथ इंजन चिह्नित किए हैं। इनमें बागवानी, जैविक कृषि, पर्यटन, ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, वानिकी व जड़ी-बूटी-आयुष शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान उच्च आर्थिक विकास दर को बनाए रखने, अंतरक्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने, दीर्घकालिक आजीविका व्यवस्था को मजबूत करने पर सरकार का फोकस है।