उत्तराखंड की पहली ”महिला कैब ड्राइवर” बन रही है अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा

0
1335

देहरादून। ममता पूजारी ने कभी कल्पना भी नहीं की था कि वह खुद को टैक्सी के स्टीयरिंग व्हील के पीछे ढ़ूंढ़ेगीं।कहीं ना कहीं यह बात बहुत स्पष्ट भी है।दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में यह बात बहुत सामान्य है लेकिन उत्तराखंड में महिला टैक्सी ड्राइवर का शायद किसी ने सुना या देखा भी होगा।

लेकिन शायद ममता की तकदीर की अपनी अलग योजना थी, जो अपने परिवार के आर्थिक रूप से मदद करने के लिए घर से निकली थी और इस प्रक्रिया में आघे बढ़ते हुए ममता उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर बन गई।35 साल की ममता उत्तराखंड के एक छोटे से गांव उखीमठ के निकट नारायणकोट, रुद्रप्रयाग की रहने वाली हैं और आज के समय में पहली महिला कैब ड्राइवर।

ममता के पिता एक रिटार्यड सरकारी शिक्षक हैं, और उनकी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। वह अपने परिवार में सबसे छोटी है और कंपटेटिव परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी, जब उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। गैर सरकारी संगठन ‘सहेली ट्रस्ट’ की सचिव श्रुति कौशिक ने उन्हें कर्मशियल ड्राइविंग में कैरियर बनाने के लिए राजी किया और अपने जीवन में आए बदलाव को लेकर ममता जीवित रहने के लिए ऐसी योजना से खुद को दूर नहीं कर सकी और अपनी ड्राइविंग को अपनी ताकत बनाकर उसपर काम करना शुरु कर दिया।

टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में ममता ने बताया कि “पहाड़ों को तो भूल जाओ, यहां तक कि देहरादून और हरिद्वार जैसे शहरों में भी महिलाओं ने प्रोफेशनल ड्राइविंग में अपना कैरियर बनाने का नहीं सोचा है।बस इसी सोच के साथ अपने परिवार को मदद करने की योजना से मैने हूनर को अपने लिए मौका में बदल दिया और आगे बढ़ गई।”

हालांकि ट्रस्ट ने ‘शी कैब’ लॉन्च की है, एक ऐसी वैन जो केवल महिलाओं की सुविधा के लिए समर्पित है लेकिन इसके लिए महिला ड्राइवर मिलना आसान नहीं था।”यह विचार महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके लिए विशेष कैब की सुविधा देना है, लेकिन इस काम के लिए एक महिला ड्राइवर मिलना कठिन था। ममता इसको करने के लिए उत्सुक थी और हमने उन्हें ट्रेनिंग दी।”श्रुति कहती हैं कि ”मेरे हिसाब से  जो भी महिला अपने परिवार को मदद करना चाहती हैं उन्हें ड्राइविंग सीख कर गाड़ी चलाने के लिए समाज के कमजोर वर्गों से आगे आना चाहिए।”

श्रुति कहती हैं कि ”ममता अभी दून में अकेली ऐसी ड्राइवर हैं जो शी टैक्सी चलाती है। फिलहाल,सहेली ट्रस्ट प्रोफेशनल महिला ड्राइवरों के रूप में काम करने के इच्छुक लोगों की पहचान करने के लिए एक सर्वे कर रही है। यह अन्य केंद्रों में वुमेन प्रोफेशनल ड्राइवर को बढ़ावा देना चाहता है और इसी प्रक्रिया में, महिलाओं के लिए एक सुरक्षित यात्रा विकल्प प्रदान करना चाहती है। “अकेली महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिेए हम इस सेवा को शुरू कर रहे हैं और इसके माध्यम से हम विदेशी महिला पर्यटकों को भी यह सेवा देना चाहते हैं।”

यह ट्रस्ट दूरस्थ क्षेत्रों में महिलाओं के साथ काम करता है, उन्हें सिलाई, कला और अन्य शिल्प में मुफ्त में प्रशिक्षण प्रदान करता है। ममता भी उसके लिए कुछ कर रही हैं।ममता कहती हैं कि “मैं ड्राइविंग में दिलचस्पी रखने वाले महिलाओं को कोचिंग दे रही हूं, इसके दोहरे लाभ होंगे – सबसे पहले, महिलाओं को खुद को आर्थिक रुप से मदद मिलेगी और दूसरा हम अपनी धर्मनगरी को महिलाओं के लिए और भी सुरक्षित कर पाऐंगे।”