उत्तराखंड सरकार अब भगोड़े डॉक्टरों से वसूलेगी जुर्माना, प्रमाण पत्र होंगे निरस्त

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देहरादून। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां चिकित्सा व्यवस्था आम आदमी तक नहीं पहुंच पा रही है। अब सरकार ने उन चिकित्सकों पर एक करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाने की तैयारी की है जो सरकार की मदद से डाक्टरी की पढ़ाई करने के बाद प्रदेश से बाहर चले जाते हैं। यानी रियायती दरों पर मेडिकल कॉलेज से पढ़कर राज्य से बाहर गए डाक्टरों पर अंकुश लगाया जाएगा।
दरअसल 13 जिलों के राज्य उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां काफी जटिल हैं जिसके कारण चिकित्सक भी दुर्गम क्षेत्रों में नहीं जाना चाहते। यही कारण है कि सरकार को यह कड़ा निर्णय लेना पड़ा है। चिकित्सा विभाग ने इन लोगों को कई बार चेतावनी दी है लेकिन यह चिकित्सक राज्य में वापस नहीं लौटे जबकि नियमानुसार इन डॉक्टरों को उत्तराखंड में कम से कम 5 साल की सेवाएं देना अनिवार्य था लेकिन इन चिकित्सकों ने ऐसा नहीं किया जो शर्तों का उल्लंघन है। इन डॉक्टरों ने पांच साल सेवा देने की शर्तों को पूरी करने के बजाय बाहर जाकर प्रैक्टिस करना प्रारंभ कर दिया। अब इन डॉक्टरों पर सरकार की ओर से एक करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा और इनसे वसूली की जाएगी। यदि चिकित्सक उत्तराखंड को अपनी सेवाएं नहीं देते अथवा अर्थदंड नहीं देते तो इन्हें भगोड़ा घोषित कर इनके मेडिकल प्रमाण पत्र निरस्त करने की कार्यवाही भी कर सकती है। विभाग द्वारा की गई इस कार्यवाही के बाद यह चिकित्सक कहीं भी चिकित्सकीय सेवा नहीं दे सकते जो इनके ऊपर बड़ी कार्यवाही होगी।
सुदूरवर्ती क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी के कारण सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है। बार-बार निर्देश के बाद भी चिकित्सकों के न पहुंचने से सरकार पर गहरे प्रहार हो रहे हैं जिसके कारण सरकार अब इन चिकित्सकों पर सख्ती के मूड में आ गई है।
सरकार और छात्रों के बीच भरे बांड का उल्लंघन करने वाले 2017 से पहले के डॉक्टरों से 30 लाख रुपए और 2017 के बाद वालों से सरकार एक करोड़ रुपए वसूलेगी। उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से अभी तक 1038 एमबीबीएस डॉक्टर उत्तीर्ण हो चुके हैं, जिसमें 688 ऐसे चिकित्सक ऐसे है जिनका कोई पता नहीं है जबकि 100 एमबीबीएस चिकित्सक सरकार से अनापत्ति लेकर स्नातकोत्तर अथवा विशेष दक्षता प्राप्त कर रहे हैं। अनुबंध भरने वाले केवल 250 ही चिकित्सक ही प्रदेश को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिसके कारण यहां चिकित्सकों का अभाव है और सरकार द्वारा दी गई रियायत का लाभ प्रदेश को नहीं मिल पा रहा है।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने मंगलवार को चर्चा के दौरान बताया कि एक करोड़ फाइन वाले बच्चे अभी पढ़ रहे हैं। जिन्होंने अनुबंध की शर्तें तोड़ी है इतना अर्थदंड नहीं होगा लेकिन मेडिकल चिकित्सा शिक्षा का बॉण्ड की शर्तें तोड़ने वालों पर कार्यवाही के लिए एक समिति बनी है जिसमें अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा अरुणेन्द्र चौहान, चिकित्सा निदेशक डॉ. टीसी पंत, चिकित्सा निदेशक के रूप में डॉ. आशुतोष सयाना के साथ उत्तराखंड के सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों की एक समिति बनाई गई है जो इस संदर्भ में कार्यवाही के लिए सूची तैयार कर रहे हैं। इस सूची में बॉण्ड की शर्तें तोड़ने वालों पर अंकुश लगाया जाएगा और उनसे अर्थदंड लगाया जाएगा। यदि ऐसे चिकित्सक प्रदेश में सेवा देने के लिए तैयार है तो उन पर विशेष कार्यवाही नहीं की जाएगी अन्यथा उनके ऊपर अर्थदंड लगाया जाएगा। डॉ. सयाना मानते हैं कि प्रदेश की सुविधा का लाभ उठाने वाले छात्र-छात्राओं को प्रदेश की सेवा करनी चाहिए। लेकिन तोड़ने वालों पर कार्यवाही के लिए समिति निर्णय लेगी।