उत्तराखंड सरकार ने खर्चों पर चलाई कैंची, विज्ञापन और नई भर्तियों पर रोक, आउटसोर्सिंग पर जोर

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आइएएस
उत्तराखंड सरकार ने कोरोना महामारी के कारण बढ़ते खर्च के दौर में राजस्व घाटा समाप्त करने और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकारी विभागों के खर्चों में कटौती करने का फैसला किया है। विदेश यात्राओं, मुद्रण एवं प्रकाशन, व्यावसायिक सेवाएं एवं विशेष सेवाएं, विज्ञापन एवं प्रसार आदि पर भी कड़ाई बरतने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने आज यहां इस आशय के आदेश समस्त विभागाध्यक्षों को जारी किए हैं।
  • पांच सितारा होटलों में कार्यक्रमों के आयोजनों पर रोक
  • चिकित्सा एवं पुलिस को छोड़कर अन्य विभागों में यथासंभव नए पद स्वीकृत न किए जाएं
  • बधाई संदेशों को भेजने, कैलेंडर, डायरी और पर्सनल लेटर आदि के मुद्रण पर लगी रोक
मुख्य सचिव ने कहा है कि राज्य में कोरोना के बचाव एवं रोकथाम के मद्देनजर लॉकडाउन करने तथा संसाधनों के प्रवाह में कमी के कारण आर्थिक प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त खर्चों में कटौती किया जाना जरूरी है। इस क्रम में कंप्यूटरीकरण के बाद बदले हुए परिवेश में अनुपयोगी पदों को चिह्नित कर समाप्त किया जाए और इन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को यथासंभव अन्य पदों या अन्य विभागों में समायोजित करने की कार्यवाही प्राथमिकता के आधार पर की जाए। मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 में किसी भी पद का वेतनमान बढ़ोत्तरी नहीं होगी। चिकित्सा एवं पुलिस विभागों को छोड़कर सामान्यता अन्य विभागों में नए पद स्वीकृत न किए जाएं।
उन्होंने कहा कि सेवा नियमों के विपरीत विभागीय संरचनात्मक ढांचे के सापेक्ष नियत वेतन, दैनिक वेतन, संविदा इत्यादि के आधार पर कर्मचारी नियुक्त करने पर प्रतिबंध रहेगा। बहुत जरूरी होने पर कार्य को बाहरी एजेंसी या सेवा प्रदाता से कराया जाए। चतुर्थ श्रेणी के पदों के साथ-साथ विशिष्ट एवं तकनीकी कार्य के लिए वाहन चालक, माली, वायरमैन, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, मिस्त्री एवं अन्य पदों पर नियमित नियुक्तियां न की जाएं और यह समस्त सेवाएं संविदा आउटसोर्सिंग के आधार पर संपादित करवाई जाएं। विभिन्न विभागों में सलाहकार, अध्यक्ष, सदस्य आदि अस्थाई पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं, अब इन पदों के लिए सहयोगी स्टाफ की व्यवस्था के लिए कोई पद सृजित न किया जाए। सहयोगी स्टाफ की व्यवस्था विभागीय सरप्लस स्टाफ से अथवा आउटसोर्सिंग से लिया जाए।
कॉन्फ्रेंस आदि के आयोजन में मितव्ययिता का ध्यान रखा जाए। निजी होटल में बैठकों आदि के स्थान पर सरकारी भवन परिसर का उपयोग होगा। पांच सितारा होटल में आयोजित किए जाने वाली गतिविधियों को यथासंभव संचार के साधनों ईमेल वीडियो कांफ्रेंसिंग का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सूचना का आदान प्रदान किया जाए ताकि स्टेशनरी का प्रयोग कम हो तथा बैठक में भाग लेने के उद्देश्य यात्रा को भी कम किया जा सके। किसी भी वित्तीय वर्ष के अंतिम महीनों से फरवरी-मार्च में तत्काल आवश्यकता के अलावा मशीन आदि की खरीद न की जाए। नए साल के बधाई संदेशों को भेजने, कैलेंडर, डायरी तथा पर्सनल लेटर आदि के मुद्रण को तत्काल प्रभाव से निषिद्ध किया जाता है। यह निर्देश स्वायत्तशासी संस्थाओं एवं प्राधिकरणों पर समान रूप से लागू होगा।
विदेश यात्राओं, मुद्रण एवं प्रकाशन, व्यावसायिक सेवाएं एवं विशेष सेवाएं, विज्ञापन एवं प्रसार, कार्यालय व्यय, लेखन सामग्री, फर्नीचर एवं उपकरण साज-सज्जा, आतिथ्य व पीओएल, कंप्यूटर प्रिंटर, फोटो कॉपियर तथा अन्य प्रशासनिक खर्च के मामले में कड़ाई के साथ मितव्ययिता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। हवाई यात्राओं के मामले में अधिकारियों को इकोनामी क्लास में ही यात्रा करने के लिए कहा गया है। कार्यालयों में अनावश्यक रूप से साज-सज्जा या फर्नीचर बदलने की मनाही है। सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को छोड़कर नए वाहन क्रय करने की बजाय यह कार्य आउटसोर्सिंग से कराया जाए। यदि अनुबंध पर टैक्सी लेने से पहले प्रशासकीय विभाग के माध्यम से वित्त विभाग से सहमति प्राप्त कर लें। प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में अध्यापक और छात्र अनुपात का कड़ाई से पालन किया जाए और सरप्लस अध्यापकों को यथासंभव अन्यत्र विद्यालयों में रिक्त पदों के सापेक्ष लगाएं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं के संचालन के लिए कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राज्य सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों को अनुमन्य के अनुरूप ही मानदेय के अतिरिक्त एचआरए, सीसीए, एलडीसी, चिकित्सा प्रतिपूर्ति आदि का भुगतान अनुमन्य होगा। यदि किसी संस्था में इससे इतर भत्ते आदि लाभ दिए जा रहे हैं तो उन्हें तात्कालिक प्रभाव से समाप्त किया जाए।
किसी भी अधिकारी को विदेशों में आयोजित ऐसे प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, कार्यशाला, सेमिनार में प्रतिभाग करने के लिए अनुमति नहीं प्रदान की जाएगी, जिसके लिए राज्य सरकार को खर्च वाहन करना पड़े। यह सभी निर्देश सरकारी विभागों कार्यालयों के साथ-साथ समस्त सार्वजनिक उपक्रमों, स्थानीय निकाय और स्वायत्तशासी संस्थाओं तथा राज्य विश्वविद्यालयों पर सुसंगत अधिनियम नियम, उप नियम के अंतर्गत राज्य सरकार के निर्देशों के रूप में समान रूप से लागू होंगे।