उत्तराखंड के आईएएस अधिकारी वी. षणमुगम के अपहरण की आशंका व्यक्त की गई है। राज्य की महिला एंव बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने एसएसपी को पत्र लिखकर उनके अपहरण की आशंका व्यक्त की है।
मंत्री ने देहरादून के एसएसपी को लिखे पत्र में कहा है कि वी. षणमुगम मौजूदा समय में उनके विभाग में अपर सचिव एवं निदेशक के पद पर तैनात हैं और 20 सितम्बर से लापता हैं। षणमुगम का फोन भी स्विच ऑफ है। तमाम प्रयासों के बावजूद उनसे सम्पर्क नहीं हो पा रहा है। रेखा आर्य ने कहा कि या तो षणमुगम का अपहरण हो गया है या फिर वे स्वयं भूमिगत हो गए हैं।
मंत्री रेखा आर्य ने एक टेंडर प्रक्रिया में धांधली का हवाला देते हुए कहा है कि हो सकता है कि ऐसी स्थिति से बचने के लिए षणमुगम खुद ही भूमिगत हो गए हों। दरअसल रेखा आर्य पिछले काफी समय से वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को लगातार फोन कर संपर्क करने की कोशिश करती रहीं मगर दूसरी तरफ से न ही फोन उठाया गया और न ही किसी माध्यम से मंत्री महोदया को न बात करने की जानकारी साझा की गई। ऐसे में हाल ही में बाल विकास मंत्री रेखा आर्य अपने विभाग के एक सचिव से इतनी नाराज हो गईं कि उन्होंने उनके खिलाफ गुमशुदगी को लेकर देहरादून एसएसपी को पत्र तक लिख दिया।
उत्तराखंड के अधिकारियों पर जन प्रतिनिधियों की बात नहीं सुनने के आरोप लगते आए हैं। कई बार मंत्री से लेकर विधायक तक ने सामने आकर अधिकारियों पर मनमर्जी करने और बात नहीं सुनने के आरोप लगाए हैं। राज्य मेंमंत्रियों और अफसरशाही की यह तनातनी नई नही है।
मौजूदा सरकार में मंत्री रेखा आर्या के समर्थन में पर्यटन मंत्री सतपाल माहराज भी सामने आ गये हैं। उन्होंने अफसरों को दायरे में लाने के लिए नियम में बदलाव की मांग की है। गौरतलब है कि अफसरशाही का दंश सतपाल महाराज खुद भी झेल चुके हैं। एक बार नहीं बल्कि कई बार प्रदेश के एक और कद्दावर मंत्री हरक सिंह रावत भी कई बार अपनी मीटिंग के दौरान अफसरों को धमका चुके हैं। अभी हाल ही में एक और वरिष्ठ मंत्री मदन कौशिक अपनी मीटिंग में अधिकारियों के उपस्थित नहीं रहने पर मीटिंग छोड़ कर चले गए थे।