(देहरादून) उत्तराखंड में आपको अपनी हिम्मत से मंजिले पाने वालों की कई मिसालें मिल जायेंगी। हर उम्र और तबके के लोग कभी हार ना मानने का जज्बा रखते हैं और बढ़-चढ़ कर किसी भी तरह के एडवेंचर स्पोर्ट में हिस्सा लेते हैं।
देहरादून के चार निवासी (व यूएसए से एक) टेलीविज़न स्क्रीन पर ‘विश्व की सबसे कठिन रेस, इको चैलेंज फ़िजी, 2020 में अपनी हिम्मत का लोहा मनवाते दिखेंगे। ये रेस 7 सिंतबर से शुरू होगी और पूरा होने में तकरीबन तीन हफ्तों का समय लगेगा। इसके बाद इसका प्रसारण ऐमेजन प्राइम चैनल पर किया जायेगा। प्रसारण की तारीख और समय के बारे में आने वाले दिनों में जानकारी दी जायेगी।
फ़िजी में अन्य अंतर्राष्ट्रीय टीमों के साथ दौड़ जीतने के लिए यह भारत की पहली टीम है जो देहरादून से ‘खुकरी वॉरियर’ के नाम से हिस्सा ले रहें है। ग्रुप के लीडर ताशी और नुंग्शी मलिक ने कहा कि “खुकरी गोरखा सैनिकों द्वारा बनाया गया पारंपरिक चाकू है। यह साहस और वीरता का प्रतीक है, हमारे पिताजी गोरखा रेजिमेंट में हैं, माँ खुद एक गोरखा हैं, इसलिए हमारे लिए अपनी टीम खुकरी वारियर्स का नाम रखना स्वाभाविक ही था, जो हमें बेहद कठिन परिस्थितियों में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करती थी।”
टीम इस साल 7 सितंबर से शुरू होने वाले इको-चैलेंज में भाग लेने के लिए भारतीय उपमहाद्वीप की पहली और एकमात्र टीम होने का टाइटल भी अपने नाम कर चुकी है।
जुड़वा बहन ताशी और नुंग्शी मलिक के लिये साहस और रोमांच कोई नई बात नही है। इन्होंने 23 साल की उम्र में दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट पर जेंडर स्टीरियोटाइप को पीछे छोड़ते हुए फतह की थी। उत्तरी ध्रुव और पहाड़ पर चढ़ने वाले विशेषज्ञ ब्रैंडर फिशर यूएसए, स्कीइंग और राफ्टिंग विशेषज्ञ प्रवीण सिंह रांगण और उनके पिता कर्नल वीएस मलिक (टीएसी) भारतीय सेना में एक पूर्व कर्नल टीम खुकरी वारियर्स का हिस्सा है।
न्यूज़पोस्ट से बात करते हुए प्रवीण रांगण कहते हैं, “कयाकिंग और राफ्टिंग के क्षेत्र में मेरी विशेषज्ञता ने मुझे टीम में जगह दिलाई। हम गोवा से मिजोरम, मुंबई से दिल्ली और उत्तराखंड में एक महीने से अधिक समय से ट्रेनिंग ले रहे हैं। हमारी टीम हर किसी को एक अच्छी फाईट देने के लिए तैयार है। ”
अंतिम अभियान की दौड़ में शामिल होने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय टीमों को एक-दूसरे के खिलाफ इको-चैलेंज में खड़ा किया जाता है। टीम के सदस्य इसे लगभग दो हफ्तों में जमीन और पानी पर दौड़ कर कवर करते है। इस दौड़ में माउंटेन बाइकिंग, पैडलिंग, रैपलिंग, क्लाइम्बिंग, वाइटवॉटर राफ्टिंग आदि को शामिल किया गया है, जो कम्पास की मदद से नक्शों पर किए गए नेविगेशन और फिनिश लाइन की खोज करते हैं। इको चैलेंज रेस को शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाना जाता है क्योंकि यह टीम के सदस्यों के धैर्य की परीक्षा होती है। साथ ही प्रतिकूल परिस्थितियों में वह किस तरह का काम करते हैं यह भी पता चलेगा।
टीम खुकरी वारियर्स को टीम न्यूजपोस्ट की ओर से बहुत शुभकामनाऐं