उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ाने के लिए नई सरकार आए दिन अलग अलग तरह की योजनाएं बना रहीं है।इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड टी डेवलपमेंट बोर्ड ने एक नई पहल की हैं।
उत्तराखंड टी डेवलेपमेंट बोर्ड ने अभी जल्दी ही अपना नया लोगो और ब्राडिंग के लिए नए आयामों की शुरुात की है जिसके साथ चाय की बागानों वाले क्षेत्र में भी इजाफा होगा। इन चाय की बागानों से दो फायदें होंगे, एक तो पर्यटक बागानों की खूबसूरती निहारने आऐंगे, दूसरा टी-टूरिज्म को भी इससे काफी बढ़ावा मिलेगा।
अब तक पहाड़ी राज्य में घोड़खाल और कौसानी में चाय के बगीचें थे जिससे पर्यटन विभाग को अच्छा फायदा मिलता रहां लेकिन अब यूटीडीबी के नए निर्णय में टी-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए, दो नये चाय बागानों के खुलने की राह नज़र आ रही है। चंपावत और चमोली जिले के नौटी गांव में नए टी-स्टेट बनायें जायेंगे।
हालांकि उत्तराखंड के बागानों की खुशबूदार चाय की पत्तियां सभी के मन को भाती हैं और सन 1835 से अंग्रेंजों की पसंदीदा चाय भी यही उगायी जाती थी, लेकिन कुछ कमियों की वजह से यहां की मशहूर चाय एक ब्रांड की तरह अपनी छाप नहीं छोड़ सकी जिसकी वजह कहीं ना कहीं राजनितिक मतभेद और खराब मार्केटिंग प्लान रहा है।
यूटीडीबी के डायरेक्टर बीएस नेगी ने बताया कि फिलहाल हमें अपनी चाय को भारत से बाहर विदेशों में एक्सपोर्ट करने का लाइसेंस मिल गया है और अब हमारे पास बाहरी देशों से उत्तराखंड चाय के बारे में काफी लोग पूछताच कर रहे हैं। बीएस नेगी ने बताया, ‘हमने चाय के लिए जीआई(गवरमेंट आफ इंडिया) मार्क के लिए अप्लाई कर दिया है। हम आशा करते हैं कि आने वाले समय में चाय के बागानों के माध्यम से बड़े पैमाने पर टी-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और चंपावत और चमोली में हमारा प्रयास सफल रहेगा। फिलहाल हमारी जरुरत नए सेटअप के लिए फंड मिलना है जिसकी मैं सरकार से उम्मीद करता हूं कि जल्दी ही मिलेगी।’