प्राइवेट विद्यालय उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और इतिहास के बारे में छात्रों को ना भी पढ़ा सकें, लेकिन सरकारी स्कूलों के छात्र 2018-19 के नए शैक्षणिक सत्र से उत्तराखंड के बारे में सीखेंगे।
नई तरह की इस पहल में,राज्य सरकार स्कूल में कुछ ऐसा शुरु करने जा रहा जिसमें पहाड़ी राज्य की संस्कृति, लोक, संगीत, परंपराओं, नृत्य, भोजन, भाषा, भूगोल, इतिहास और प्रसिद्ध आंदोलनियों और नेताओं के बारे में एक किताब शुरू करने के लिए तैयारी हो रही है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) इसकी शुरुआत 1-8 ग्रेड के लिए आने वाले सत्र से की जाएगी, इसके अलावा छात्रों को पहाड़ी राज्य के दौरे और उसके बारे में बताने के लिए पर हर ग्रेड में एक अलग किताब होगी।
“स्कूल शिक्षा के महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि,”एनसीईआरटी राज्य विशेष किताबें नहीं उपलब्ध करता है इसलिए, हम एक अलग किताब के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं जो स्कूलों में बच्चों को उत्तराखंड के बारे में सभी जानकारी देगा।
राज्य विद्यालय राज्य शिक्षा परिषद और राज्य परिषद (एससीईआर) की किताबों को फॅालों करते हैं,जो राज्य स्तर पर तैयार किए गए हैं और एनसीईआरटी की गाईडलाइन पर आधारित हैं।
लेकिन, भाजपा सरकार ने एससीईआरटी किताबों को छोड़कर एनसीईआरटी पुस्तकों को ही पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है जो आने वाले समय में कंपटिशन लेवल के लिए बच्चों को तैयार करता है।
इसके लिए, अधिकारी एनसीईआरटी अधिकारियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) बनाने में वयस्त हैं जहां अपने ही राज्य यानि की उत्तराखंड में किताबों को प्रकाशित करने के लिए कॉपीराइट लिया जाएगा।
“स्कूल के निदेशक आर.के कुंवर ने कहा कि”किताबें अत्याधुनिक लक्ष्य और उन सूचनाओं के बारे में बताती हैं जो आमतौर पर छात्रों द्वारा जानी जाती हैं। समुदायों, फॅारेस्ट कवर, वन्यजीव, नदियों, धार्मिक स्थानों, लोक और अन्य लोगों के बारे में समझना ही हमारा मुख्य काम है।इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह किताबें, शासक सरकार, निर्वाचन क्षेत्रों और मंत्रालयों के सामान्य बिंदुओ के बारे में भी बताती हैं।
किस तरह की होगी यह किताब इस पर अभी काम चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस किताब का विषय दूसरों विषयों पर निर्भर करता है क्योंकि हर ग्रेड में कम से कम एक किताब होगी, जो बच्चों को उत्तराखंड से रुबरु कराएगी।
तिवारी ने कहा, “यह किताब बाकी विषयों के साथ नहीं जोड़ी जाएगी, लेकिन यह क्यूरीकुलम का हिस्सा होगी जिसकी एक जानकारीपूर्ण शैली होगी जिसकी लिखित परीक्षा के बजाय एप्टीट्यूड परीक्षा हो सकती है।”