उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव के ऊपरी हिस्से में करीब 350 मीटर लंबी झील से फिलहाल कोई खतरा नही है। इस झील का निरीक्षण करने पहुंची एसडीआरएफ टीम के मुताबिक झील से अच्छी तादाद में पानी का रिसाव हो रहा। इसके कारण फिलहाल इस झील से कोई कतरा नही दिख रहा है। हांलाकि, जिला प्रशासन और पुलिस झील के बनने को लेकर सतर्क है और लोगों को भी सावधान रहने को कहा गया है।
– निरीक्षण करने रैणी गांव पहुंची एसडीआरएफ की टीम ने झील का पता लगाया
राज्य के पुलिस उप महानिरीक्षक (अपराध एवं कानून-व्यवस्था) नीलेश आनंद भरणे ने आज शाम बताया कि सूचना के मुताबिक तपोवन के पास रैणी गांव के ऊपर यह झील बन गई है। झील से पानी डिस्चार्ज हो रहा है। झील की लंबाई लगभग 350 मीटर प्रतीत हो रही है।
राज्य आपातकालीन परिचानल केंद्र (देहरादून) के मुताबिक इस बीच भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (देहरादून) के वैज्ञानिकों के क्षेत्र में किए गए हवाई सर्वेक्षण में रौंठी नाले में भू-स्खलन के कारण बनी झील से जल प्रवाह होने की पुष्टि हुई है।
एसडीआरएफ की एक टीम सेनानायक के नेतृत्व में आठ जवानों, पांच पोटर और दो गाइडों के साथ इस झील पर पहुंची थी। टीम ने झील से जल प्रवाह के सामान्य होने की पुष्टि की है। टीम क्षेत्र में हेलीपैड बनाए जाने की संभावना भी तलाश रही है।
गौरतलब है कि रविवार को ग्लेशियर टूटने बाद आई आपदा के मलबे से अब तक अलग-अलग स्थानों से कुल 40 शव बरामद हुए हैं। उधर, तपोवन पॉवर प्लांट के टनल में फंसे लोगों की सर्चिंग के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
आपदा प्रभावित इलाके में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना और वायु सेना की रेस्क्यू टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। वायु सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिए प्रभावित इलाकों में खाद्य सामग्री और रेस्क्यू टीमों के लिए साजो-सामान पहुचाने का कार्य किया जा रहा है।