ऋषिकेश, उत्तराखंड परिवहन महासंघ की एक दिसंबर से होने वाली चक्का जाम हड़ताल वापस ले ली गई है । राज्य के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य से हुई संतोषजनक वार्ता के बाद इसे वापस ले लिया गया है।
उत्तराखंड परिवहन महासंघ द्वारा संभागीय परिवहन प्राधिकरण के निर्देश पर एनजीटी के सुझाव के अनुसार पर्यावरण कारणों से वाहनों की समय सीमा 10 वर्ष निर्धारित किए जाने के विरोध के चलते एक दिसंबर से पूरे उत्तराखंड में वाहनों के चक्का जाम करने का आह्वान किया गया था ।
महासंघ ने पहले निर्णय लिया था कि संभागीय परिवहन प्राधिकरण ने एनजीटी के सुुझाव पर उत्तराखंड में चलने वाले प्रदूषण के दृष्टि से वाहनों की समय सीमा 10 वर्ष निर्धारित कर दी गई थी जिसके विरोध में उनका एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा परिवहन मंत्री यशपाल आर्य से मिला था, जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया।
पहाड़ों में चलने वाले वाहन स्वामियों को 10 वर्ष में वाहन की लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है ।इस नियम के बाद प्रदेश में पलायन की समस्या उत्पन्न हो जाएगीजिनके आश्वासन के बाद परिवहन महासंघ अब तक चलाए जा रहे, अपने आंदोलन को वापस लिए जाने का निर्णय लिया है ।
सुधीर राय ने बताया कि अभी तक प्रदेश में पर्याप्त रोजगार ना होने के कारण बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे थे जिनका रोजगार का एकमात्र साधन परिवहन उद्योग था जिससे लाखों लोग सीधे जुड़े हैं और वह अपने बच्चों का भरण पोषण इस उद्योग से कर रहे हैं ।उसमें प्रदेश की भौगोलिक स्थिति की वजह से यहां अन्य उद्योग नहीं लग सकते हैं ।यहां तक कि पहाड़ों में मेट्रो शहर जैसी बड़ी आबादी भी नहीं है जिसके कारण छोटे वाहनों को सवारी के रूप में तथा माल ढोने के रूप में भी उपयोग किया जा रहा है ।
उनकी बात को परिवहन मंत्री व मुख्यमंत्री ने धैर्य पूर्वक सुनने के बाद उनकी समस्या का समाधान किए जाने का आश्वासन दिया ।उसके बाद परिवहन महासंघ ने राहत की सांस ली है ।