उत्तराखण्ड 2017 के सबसे बड़े महा पर्व में मातृशक्ति ने बढ़ चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया है। महिलाओं ने पुरुषों को 2017 विधानसभा चुनाव मतदान में पीछे छोड़ दिया है। राज्य में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने 6.06 फीसदी ज्यादा मतदान में अपनी भागीदारी की है। उत्तराखंड में 2012 विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई हैं लेकिन महिलाओं के जोश में कोई कमी नहीं दिखाई दी है। उन्होंने घरों से निकल कर निकल कर बूथों पर अपना दबदबा जमाया और 69.34 फीसदी वोट देकर महिला जागरूकता की मिसाल पेश की है।
उत्तराखण्ड में पुरुष वोटर्स की संख्या महिलाओं से ज्यादा है, और उसके बावजूद वोट देने में महिलाओं की फीसदी इतनी ज्यादा कैसे साबित हो गयी है। उधमसिंघनगर में सबसे ज्यादा 77.30 फीसदी महिलाओं ने वोट दिए है।
जिला वार वोट प्रतिशत:
- जनपद पुरुष महिला
- उधमसिंहनगर 74.46 77.30
- हरिद्वार 75.32 76.14
- उत्तरकाशी 63.69 73.21
- चम्पावत 53.37 70.81
- रुद्रप्रयाग 52.61 70.25
- नैनीताल 64.96 68.80
- चमोली 55.41 65.96
- देहरादून 61.27 65.93
- पिथौरागढ़ 56.64 64.52
- पौड़ी 48.52 61.63
- अल्मोड़ा 45.20 60.69
- टिहरी 64.62 50.00
मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने भी महिलाओं के इस जागरूकता व उत्साह को सलाम किया है। पिछले चुनाव में भी महिलाये अव्वल रही थी वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने मतदान में पुरुषों को मात दी थी। तब 68.84 फीसदी महिलाओं और जबकि 65.74 फीसदी पुरुषों ने वोट किया था। वर्ष 2007 के चुनाव में भी एक फीसदी महिलाओं ने ज्यादा वोट दिया था। पुरुष कुल वोटर 38,87,296 है जबकि 24,21,019 वोटर ने दिए वोट। वही महिलाओं के बारे में बात करे तो कुल वोटर 35,33,229 है और इस बार 24,49,844 वोटर ने दिए वोट। दूसरी तरफ महिला वोटर हर चुनाव में आगे क्यों रह रही है इसके बारे में अगर ध्यान से सोचा जाये तो वो पलायन है। पर्वतीय इलाको में रोजगार ना होने के कारण वहां के नोजवान मैदानी इलाकों की तरफ जाते दिख रहे हैं। दिल्ली व बंगलोर जैसे बड़े शहर की रौनक बढ़ाने गये उत्तराखण्ड के नोजवानो को मजबूर कर दिया पलायन के लिए। ऐसी हालत में महिलाओं, बच्चे व बुजुर्ग से रह गये अब पर्वतीय इलाके। क्या आने वाली नई सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी उनके मैनिफेस्टो में जरूर प्रथम श्रेणी में यह मुद्दा होगा लेकिन चुनाव जाते ही अंतिम श्रेणी बन जाता है।