भारत के साथ चीन की तनातनी को लेकर सेना देश की हिफाजत के लिए मुस्तैदी के साथ खड़ी है। आईटीबीपी उप महानिरीक्षक अपर्णा कुमार ने बताया कि उत्तरकाशी से लगी चीन सीमा क्षेत्र में सेना की सतर्कता बढ़ गई है। भारत-चीन सीमा पर सेना और आईटीबीपी के जवान मुस्तैदी के साथ ड्यूटी दे रहे हैं। इस हिस्से में कभी चीन की ओर से घुसपैठ की कोई घटना नहीं हुई है।
- गुरुवार को वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने चीन सीमा के लिए भरी उड़ान
बीते जून माह से चीन के साथ चले तनातनी के बाद सीमा की चौकसी बढ़ा दी गई है। उत्तरकाशी जिले में चीन की 117 किलोमीटर सीमा लगती है। यहां वायु सेना के लड़ाकू विमान भी सीमा की निगरानी करने के लिए जा रहे हैं। गुरुवार को उत्तरकाशी से सटी सीमा पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से आम लोगों में इस बात की भी चर्चा है कि भारत चीन की बीच कभी भी युद्ध की स्थिति हो सकती है, जिस प्रकार से चीन सीमा पर सेना के लड़ाकू विमान मंडरा रहे हैं।
उत्तरकाशी जनपद में जिला मुख्यालय से करीब डेढ़ सौ किमी आगे चीन की 117 किमी सीमा लगी हुई है। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार ने सीमावर्ती नेलांग और जाढ़ूंग गांव को खाली करवा कर यह क्षेत्र सेना के सुपुर्द कर दिया था। वर्तमान में सीमा पर नेलांग, जाढ़ूंग, नागा, त्रिपाणी, मंडी, सुमला, पीडीए, थागला-1, थागला-2, मुनिंगलापास, टीसांचुकला आदि सीमावर्ती चौकियों पर भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवान मुस्तैद हैं। सीमा की निगरानी के लिए भारत की ओर से बॉर्डर इलाके में सड़कों का जाल बिछाया गया है। बीते जून माह में लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ तनातनी के बाद से इस ओर भी सीमा पर तैनात जवानों को अलर्ट किया गया है।