उत्तरकाशी। गंगा व यमुना घाटी में सोमवार रात से शुरू हुई तेज बारिश का क्रम मंगलवार को जारी रहने से यमुनोत्री धाम से लेकर जानकीचट्टी तक तबाही मचा दी। उफनाई यमुना नदी के तेज बहाव ने मंदिर परिसर को जोड़ने वाला पुल बहा ले गया। भारी बारिश की सूचना मिलने पर डीएम व एसपी आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने यमुनोत्री पहुंचे। वहीं गंगोत्री हाईवे तीन स्थानों पर करीब सात घंटे बंद रहा, वहीं यमुनोत्री हाईवे डबरकोट के पास भारी भूस्खलन होने से चार घंटे बंद रहा। राजमार्ग बंद होने के कारण स्थानीय लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा तो वहीं स्कूली बच्चों, तथा कांवड़ियों मुसीबत उठानी पड़ी।
जिले में सोमवार रात से हो रही भारी बारिश से लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। बाढ़ ने मंदिर परिसर को जोड़ने वाला पुल बहा गया। पुल के बहने से यहां आवाजाही बंद हो गई है। साथ ही मंदिर के निकट यमुना नदी के किनारे बने स्नानघाट भी बह गए, मंदिर परिसर भी क्षतिग्रस्त हो गया तथा महिला व पुरूष स्नान कुंड में मलबा भर गया। साथ नदी के तट से लगे स्थानीय लोगों की आधा दर्जन से अधिक दुकानें नदी के तेज बहाव में समा गई। दुकानें में रखा सामान भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया। वहीं कालीकमली धर्मशाला व हनुमान मंदिर धर्मशाला को भी नुकसान पहुंचा है। जानकीचट्टी में भी यात्राकालीन दुकानें क्षतिग्रस्त हुई हैं।
वहीं गंगोत्री हाईवे को दोपहर एक बजे तथा यमुनोत्री हाईवे को सुबह दस बजे संबंधित विभाग ने विधिवत रूप से यातायात के लिए सुचारू कर दिया था। शासन यमुनोत्री यात्रा का संचालन ओजरी-त्रिखली पैदल मार्ग से करा रहा है।
उधर, गंगोत्री हाईवे धरासू बैंड से हर्षिल के बीच में नालूपानी, लालढांग व थिरांग के पास घंटों बाधित रहा। मार्ग बंद होने की सूचना मिलने के बाद बीआरओ की मशीन मौके पर पहुंची और अलग-अलग स्थानों पर सड़क को खोलने में जुट गई। जिसके एक घंटे बाद सात बजे तक धरासू व लालढांग यातायात के लिए खोल दिया गया। जबकि थिरांग के पास भारी मात्रा में मलबा आने के कारण मार्ग दोपहर एक बजे तक सुचारू हो पाया। वहीं यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग ओजरी के पास सुबह बंद हो गया था।वहीं असी गंगा घाटी को जोड़ने वाला गंगोरी-संगम चट्टी डोडीताल मोटर मार्ग का आधा हिस्सा भारी बारिश के चलते धंसकर असी गंगा में समा गया। जिससे क्षेत्र के सात गांव का संपर्क पूरी तरह कट गया। जिसे संबंधित विभाग की ओर से बुधवार तक सुचारू करने की बात की जा रही है।
तीर्थ पुरोहित, मंदिर समिति, पंचपंडा समिति तथा स्थानीय लोगों का कहना है कि यमुनोत्री धाम में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर ठोस योजना बनाने की शासन प्रशासन से मांग की गई थी लेकिन इस ओर ध्यान नही दिया गया। जिस कारण बार-बार आपदा का दंश झेलना पड़ रहा है। आपदा कार्य के लिए हेलीपैड बनाने की भी मांग की गई थी उस पर भी कार्य नही हो पाया।