प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे केदारघाटी के लोग

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केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले हिस्सों में बारिश होने से तापमान में एक बार फिर गिरावट आ गई है, जिससे यहां के लोग गर्म कपड़े पहनने को मजबूर हो गए हैं। केदारघाटी में मौसम के बार-बार बदलने से लोगों को लाॅक डाउन के साथ ही प्रकृति की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। बेमौसमी बारिश से काश्तकारों की गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंच रहा है और बुग्यालों में रहने वाले भेड़ पालकों को भी भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
बेमौसमी बारिश से काश्तकारों की गेहूं की फसल बर्बाद
– बुग्यालों में रहने वाले भेड़ पालक भी परेशान
पिछले साल 18 अक्टूबर को मौसम की पहली बर्फबारी हुई थी और जनवरी, फरवरी माह में रिकार्ड तोड़ बर्फबारी होने से 45 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया था। इन दिनों भी हर रोज केदारघाटी में मौसम करवट ले रहा है, जिससे दोपहर बाद जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। साथ ही काश्तकारों की गेहूं, जौ मटर की फसलों को खासा नुकसान हो रहा है। तल्लानागपुर के कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश से गेहूं की फसल चैपट हो गई है। विगत वर्षों की बात करें तो बैसाखी पर्व से काश्तकार गेहूं की लंवाई व मंड़ाई में जुट जाते थे, मगर इस बार बेमौसमी बारिश से गेहूं की फसलों को भारी नुकसान हो गया है। कुछ हिस्सों में विगत दिनों ओलावृष्टि से काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान होने से उनके सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है।
भींगी की प्रधान शान्ता देवी ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण लाॅक डाउन होने से काश्तकारों की निगाहें अपनी खेती-बाड़ी पर थीं लेकिन बेमौसमी बारिश ने काश्तकारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट ने बताया कि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने से बुग्यालों में रहने वाले भेड़ पालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रधान रांसी कुन्ती देवी ने कहा कि यहां के लोगों को लाॅक डाउन के साथ प्रकृति की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।