फूलों की घाटी में स्थानीय महिलाओं को भी मिला रोजगार का जरिया

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फूलों की घाटी

विश्व धरोहर फूलों की घाटी मे असंख्य फूल लहलहा रहे हैं। यह फूल घाटी में फैल रही पौलीगोनम घास के कारण कई बार पर्यटको की नजरों से ओझल हो जाते हैं। वन विभाग प्रतिवर्ष पौलीगोनम घास की कटाई के लिए मजदूरों को काम पर लगाता है। इस बार इसमें नया प्रयोग हुआ है। भ्यॅूडार गांव की महिला समूह की दस महिलाओं ने पौलीगोनम घास को उखाड़ने का काम अपने हाथ में लिया है। अब तक करीब 80 हेक्टेयर क्षेत्र से पौलीगोनम घास को उखाड़ा जा चुका है।

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में जब से भेड-बकरियों के चुगान पर प्रतिबन्ध लगा है, तब से लगातार पौलीगोनम घास का फैलाव भी बढ़ता ही जा रहा है। आलम यह है कि वन विभाग को वर्ष में दो बार पौलीगोनम घास को उखाड़ने के लिए मजदूरों की व्यवस्था करनी होती है। वन विभाग का मानना है कि पौलीगोनम घास के बीच असंख्य किस्म के फूल ढक जाते हैं। पर्यटक भी कई बार निराश होते हैं। इसलिए वन विभाग प्रतिवर्ष पर्यटक सीजन में ही दो बार पौलीगोनम घास की कटाई करता है। इससे पूर्व वन विभाग ठेका प्रथा पर पौलीगोनम घास उखाड़ने का काम दिया जाता था। इस वर्ष पहली बार इस काम के लिए स्थानीय भ्यूूॅडार गांव की महिलाएं आगे आई हैं। महिलाएं प्रतिदिन अपने घरों से घाटी में पंहुचती हैं और पूरे दिन पौलीगोनम घास उखाड़कर सायं को अपने घरों को लौटती है। वन विभाग की इस पहल से घर के नजदीक ही रोजगार का जरिया मिलने से भ्यॅूडार गांव की महिलाएं भी काफी खुश हैं। अब वह प्रतिवर्ष घाटी से पौलीगोनम घास को उखाड़ने का काम स्वयं करने का मन बना रही हैं।

फूलों की घाटी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती कहते हैं कि पौलीगोनम घास खूबसूरत फूलों की घाटी के लिए अभिशाप है। प्रतिवर्ष पर्यटक सीजन पर विभाग को इस खरपतवार की कटाई के लिए मजदूरों को लगाना होता है। इस पर विभाग सालाना करीब चार लाख रुपये व्यय करता है। भारती ने कहा कि इस बार भ्यूॅडार गांव की स्थानीय महिलाओं ने घास को उखाड़ने की पहल की है।