(चमोली), इस साल दुनिया में मशहूर फूलों की घाटी ने 1 जून 2019 से 31 अक्टूबर को बंद होने के बीच नया कीर्तिमान बनाया है। घाटी ने सरकारी खजाने में 27,60,000 का राजस्व जमा कराया है, ये कमाई यहां आने वाले 17,424 सैलानियों से हुई है, ये संख्या पिछले साल 14,965 रही थी।
रेंजर ब्रिजमोहन बताते हैं कि “16,904 भारतीय और 520 विदेशी सैलानियों ने इस बार फूलों की घाटी का रुख किया है। घाटी साल में करीब 5 महीने ही पर्यटकों के लिये खुली रहती है।”
चमोली जिले में 11,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी युनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल है। ये घाटी करीब 7 किमी लंबी और 2 किमी चौड़ी है और राज्य के नंदा देवी बायोस्फयर पार्क का हिस्सा है। घाटी में पानी के झरनों को साथ करीब 600 प्रजातियों के फूलों की चादर मौजूद है। फूलों के अलावा इस घाटी में काला भालू, मोनाल, स्नो लेपर्ड औक मस्क डियर भी पाये जाते हैं। अपनी इन्ही खूबियों के कारण ये घाटी देश विदेश के सैलानियों के लिये पसंदीदा जगह है।
2013 की केदारनाथ आपदा के बाद राज्य सरकार ने इस घाटी में सैलानियों की आवाजाही पर तीन साल के लिये रोक लगा दी थी। इसके चलते घाटी में प्रकृतिक तौर पर खिलने वाले फूलों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। 2016 में राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के इरादे से घाटी को पर्यटकों के लिये खोला गया।
सालों से फूलों की घाटी पर्यटकों के घूमने के साथ-साथ शोधकर्ताओं के लिये कर्मभूमि बनी हुई है। पर्यटकों के लिये घाटी का पांच महीने खुलना काफी खुशी की बात है पर वहीं कुछ लोग प्राकृति के इस बगीचे में मानवीय आवाजाही से होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित भी है।
गायत्री सैली एक युवा ट्रैकर हैं और उनके लिये घाटी का अनुभव काफी अलग रहा, वो कहती हैं कि “मुझे उम्मीद है कि यहां आने वाले पर्यटक और ट्रैकर इस जगह जो लेकर आयें उसे वापस ले जायें ताकी इस घाटी का प्रकृतिक सुंदरता आने वाले कई दशकों तक ऐसे ही बरकरार रहे।”