देहरादून। वानिकी एवं जलवायु परिवर्तन क्षेत्र में व्यवहार्य निवेश और उससे रोजगार सृजन की अनेक सम्भावनाएं हैं। आधुनिक युग में वानिकी क्षेत्र वर्हिगम वनों के रूप में काफी लोकप्रिय हो रहा हैं तथा इसमें नित्य नये आयाम जुड़ते जा रहे हैं। वानिकी क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान व विकास कार्यों को ग्रामीण समाज से जोड़कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है। साथ ही रोजगार के अवसर भी पैदा किये जा सकते हैं। रुरल बिजनेस फाउडेंशन के समन्वयन से आयोजित हुई आयोजित हुई विशेष सेमिनार में विशेषज्ञों ने यह बात कही।
वन अनुसंधान संस्थान के सभागार में आयोजित हुई सेमिनार का शुभारंभ एफआरआई की निदेशक डॉ. सविता ने किया। किया गया है। इस मौके पर उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित तकनीकियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया व बताया कि संस्थान द्वारा सभी तकनीकियां पर्यावरण हितैषी व कम लागत वाली हैं। आम जनता इनसे लाभ उठा सकती है। सेमीनार में रूरल बिजिनेस हब से चेयरमेन कमल ताओरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कहा कि वानिकी क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के समग्र प्रचार प्रसार के लिए किसी भी क्षेत्रों को भागो में बाट कर यह कार्य किया जाना चाहिए, इससे प्रचार प्रसार में समरूपता बनी रहती है और पूरे क्षेत्र का विकास समान रूप से होता है। इस कार्य के लिए वन अनुसंधान संस्थान समन्वयक का कार्य कर सकता है। सेमीनार में आये वशिष्ठ व्यक्तियों स्वामी
भास्करानन्द, जगत सिंह जंगली, प्रेम कश्यप, इम्मी वी मारला, समीर रतुरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर संस्थान के प्रचार एवं जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. केपी सिंह, विस्तार प्रभाग के प्रमुख डॉ. एके पांडे, डॉ. चरण सिंह, डॉ. देवेन्द्र कुमार, रामबीर सिंह, अजय गुलाटी मौजूद रहे।