विकल्प: प्लास्टिक के इस्तेमाल को दे रहा है एक ईको-फ्रेंडली विकल्प

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(देहरादून) दुनिया में प्रदूषण के सबसे बड़े कारणों में से एक है प्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण और इसने हिमालयी इलाकों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून प्रतिदिन 100 से 150 टन प्लास्टिक कूड़ा पैदा करती है। इसके निस्तारण की बेहतर सुविधाओं के अभाव के कारण, यह कूड़ा हमारे नालों और ज्वरों को चोंक करता है, नदी के किनारों और जंगलों को प्रदूषित करता है।

पेशे से इंजीनियर, 32 साल के तरुण गोयल ने अबू धाबी में अपनी नौकरी छोड़ देहरादून का रुख़ किया और सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण के लिये नये विकल्प की तलाश में लग गये। तरुण ने अपनी कंपनी बनाई,  आज वो उत्तराखंड की ऐसी कंपनी के मालिक हैं जो ऐसे बैगों का निर्माण करती है जो 12 से 13 हफ़्तों में कंपोस्ट में परिवर्तित हो जाते हैं।

तरुण की कंपनी का नाम है ‘विकल्प’ और वो कहते हैं कि ,”हमारा मक़सद केवल कोमपोस्टेबल बैगों की बिक्री नहीं है, बल्कि हम लोगों को रोज़ाना इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के नुक़सानों के बारे में भी जागरूक करना चाहते हैं।”

तरुण और उनकी टीम लोगों के बीच सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्पों को लेकर जागरूकता बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं। प्लास्टिक के विकल्प और इसके लिये कच्चे माल को लेकर गहन शोध के बाद तरुण ने अपनी कंपनी बनाई और ख़ुद ही फ़ैक्ट्री लगाकर कोंपोस्टेबल बैग बनाना शुरु किया।

तरुण बताते हैं कि उनके उत्पादों को सेंट्रल पॉलयूशन कंट्रोल बोर्ड और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी द्वारा प्रमाणित किया गया है। वो कहते हैं कि, “विकल्प द्वारा बनाये गये बैग ख़ुद डीग्रेड होकर, 12-13 हफ़्तों में मिट्टी में कोमपोस्ट का रूप ले सकते है, और इस दौरान मिट्टी की उर्वरक शक्ति को कोई नुक़सान नहीं पहुँचता है।”

इसके साथ व कहते हैं कि, “विकल्प के ज़रिये हम समाज के अलग-अलग तपके के लोगों तक पहुँच बनाने की कोशिश कर रहे हैं, इनमें व्यापारी वर्ग, छात्र, शैक्षिक संस्थान, महिला समूह और उद्योग आदि शामिल है।”

आने वाले समय में तरुण सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं, निजी कंपनियों, नगर निगमों के साथ साझेदारी कर अपने उत्पाद की पहुँच ज़्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने की कोशिश करेंगे।

यह बैग चार तरह के साइज़ और वजन उठाने की क्षमता में उपलब्द्ध हैं, इनमें, 2 किलो, 3 किलो, 5 किलो और 10 किलो के बैग शामिल हैं। तरुण के बैग कई दुकानों, बेकरी, रेस्तराँ आदि में इस्तेमाल किये जा रहे हैं और उन लोगों के बीच ख़ासे पसंद किये जा रहे हैं जो प्लास्टिक से होने वाले नुक़सान को लेकर जागरूक हैं और इसे रोकने के लिये कुछ करना चाहते हैं।