हाईकोर्ट ने गरुड़ बागेश्वर के ग्राम प्रधानों द्वारा प्रदेश में आ रहे प्रवासियों को जिला व तहसील स्तर पर प्रशासन के माध्यम से एकांतवास किये जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, स्वास्थ्य महानिदेशक, जिलाधिकारी बागेश्वर, सीएमओ बागेश्वर, उप जिलाधिकारी गरुड़, बीडीओ गरुड़ सहित केंद्र सरकार को दो जून तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अधिवक्ता डीके जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गरुड़ बागेश्वर के ग्राम प्रधानों ने जिलाधिकारी को 20 मई को ज्ञापन दिया था कि प्रदेश में बाहर से आने वाले प्रवासियों को जिला व तहसील स्तर पर एकांतवास किया जाए। एकांतवासियों की देखभाल प्रशासन करें और ग्राम प्रधान उनकी सहायता करेंगे। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि अगर प्रशासन ऐसा नहीं करता है तो गरुड़ के समस्त ग्राम प्रधान सामूहिक इस्तीफा दे देंगे।
इससे पहले बागेश्वर जिले के गरुड़ ब्लॉक के ग्राम प्रधानों की ओर से दायर याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की खंडपीठ को रेफर किया था। याचिका में कहा गया था कि प्रवासियों को एकांतवास करने के लिए गांव के पंचायत भवनों और स्कूलों को एकांतवास केंद्र बनाया गया है। इनके रखरखाव व देखभाल की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों पर थोप दी गई है, जबकि इसके लिए अब तक अलग से किसी बजट का भी प्रावधान नहीं किया गया है। यही कारण है कि प्रधान इसको लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं।