पौड़ी, विकासखंड पोखड़ा में आनंदपुर गांव के ग्रामीणों ने मिशाल पेश की है। लॉक डाउन के दौरान गांव लौटे प्रवासियों ने गांव से बाहर शहरों में रह रहे अन्य प्रवासियों के साथ मिलकर 13 लाख से अधिक धनराशि आपसी सहयोग से एकत्र की। इस धनराशि से प्रवासियों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर गांव तक पहुंचने के लिए ढाई किमी सड़क का निमार्ण किया। सड़क निर्माण के लिए ग्रामीणों ने निशुल्क भूमि देने के साथ ही श्रमदान भी किया। करीब दो माह की कड़ी मेहनत के बाद गांव में पहली बार वाहन पहुंचा तो ग्रामीणों ने एक दूसरे को माला पहना कर खुशी जताई।
– पोखड़ा विकासखंड के आनंदपुर गांव के प्रवासियों ने पेश की मिशाल
– प्रवासियों ने आपसी सहयोग से की 13 लाख से अधिक की धनराशि एकत्र
– ग्रामीणों के साथ मिल कर श्रमदान से बनाई ढाई किमी सड़क
आनंदपुर के प्रवासियों ने अपने गांव की तस्वीर ही बदल दी है। आंनदपुर गांव तक पहुंचने के लिए करीब ढाई किमी पैदल चलना पड़ता था। लॉक डाउन के दौरान गांव में देश के विभिन्न शहरों में रह रहे 13 प्रवासी घर लौटे तो इन्होंने अपने गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की ठानी। इसके लिए इन्होंने गांव से बाहर रह रहे अन्य प्रवासियों के साथ मिल कर एक सोशल मीडिया पर ग्रुप के माध्यम से एक कमेटी बनाई। इस कमेटी के माध्यम से सभी लोगों ने आपसी सहयोग से करीब 13 लाख की धनराशि एकत्र की।
ग्रामीण मेहताब सिंह ने बताया कि धनराशि एकत्र होने के बाद दो मई से प्रवासियों ने ग्रामीणों के साथ मिल कर सड़क निर्माण के लिए श्रमदान शुरू किया। करीब 50 दिन की कड़ी मेहनत के बाद ग्रामीण ढाई किमी. सड़क बनाने में सफल रहे। सोमवार को गांव में सड़क का उद्घाटन समारोह किया गया। गांव में पहली बार वाहन के पहुंचने पर ग्रामीणों ने एक दूसरे को माला पहना कर खुशी जताई। ग्रामीणों ने आपस में मिष्ठान्न वितरण भी किया।
मेहताब सिंह ने बताया कि गांव में करीब 70 परिवार हैं। गांव की आबादी 300 से अधिक है। ग्राम प्रधान राजमती देवी ने कहा कि प्रवासियों की पहल ने गांव की तस्वीर बदल दी है। महामारी के इस दौर में प्रवासियों ने गांव को सड़क की सौगात दी है। ग्रामीणों ने चौबट्टाखाल दमदेवल मोटर मार्ग से गांव के लिए सड़क मार्ग को जोड़ा है।
अब लौटेंगे सभी प्रवासी गांव
मेहताब सिंह ने बताया कि अभी तक गांव में 13 प्रवासी लौटे हैं। अभी 40 और प्रवासियों को गांव लौटना है। इन सभी प्रवासियों ने सड़क बनाने में आर्थिक सहयोग किया है। प्रवासी हमेशा गांव लौटना चाहते थे लेकिन सड़क सुविधा न होने से नहीं लौट पा रहे थे।
लंबे समय से कर रहे थे सड़क की मांग
मेहताब सिंह बताते हैं कि वह वर्ष 2000 से गांव को सड़क सुविधा से जोड़े जाने की मांग कर रहे थे लेकिन किसी ने उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। गांव में सड़क सुविधा न होने से प्रवासी चाह कर भी गांव नहीं लौट पा रहे थे। सड़क निर्माण के लिए प्रवासियों ने 20 हजार से एक लाख तक का आर्थिक सहयोग किया है।
गांव के बुजुर्गो से कराया उद्घाटन
श्रमदान से बनी सड़क का उद्घाटन ग्रामीणों ने गांव के 80 वर्षीय बुजुर्ग गोविंद सिंह रावत और 72 वर्षीय सेवानिवृत्त कैप्टेन मनवर सिंह रावत से कराया। ग्रामीणों का कहना था कि बुजुर्गो के निर्देशन व आर्शीवाद से वह सड़क बनाने में सफल रहे हैं।