पंचेश्वर बांध: ग्रामीणों ने डीपीआर स्पष्ट करने की मांग

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पंचेश्वर बांध को लेकर जनप्रतिनिधियों ने बांध प्रभावित गांवों का विस्थापन सुरक्षित और सुविधाजनक स्थान पर किए जाने के साथ जमीन का सर्किल रेट जिला मुख्यालय के सर्किल रेट के बराबर दिए जाने की मांग को लेकर जिलधिकारी को ज्ञापन सौंपा।

पंचेश्वर बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे बाराकोट ब्लॉक के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी जिलाधिकारी डॉ. अहमद इकबाल के माध्यम से माध्यम से राज्यपाल और मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजकर डीपीआर की स्थिति स्पष्ट करने की मांग उठाई। उनका कहना है कि डीपीआर में इसका कोई उल्लेख नहीं है कि डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों का विस्थापन कहां किया जाएगा। स्थिति साफ नहीं होने से प्रभावित गांवों की जनता में असमंजस बना हुआ है। ग्रामीणों के विस्थापन और मुआवजे को लेकर कई सुझाव भी दिए गए हैं।

उन्होंने बांध प्रभावित परिवारों को मकान निर्माण के लिए एक मुश्त 30 लाख रुपये दिए जाने और गौशाला निर्माण के लिए अलग से ढाई लाख रुपये दिए जाने की मांग की है। प्रत्येक विस्थापित परिवार को 20 वर्षों तक कम से कम पांच हजार रुपये प्रतिमाह वार्षिक पॉलिसी के आधार पर दिए जाने चाहिए। ज्ञापन में डूब क्षेत्र का आकलन जलाशय के एफआरएल से कम से कम दो किमी ऊपर बसे गांवों को भी विस्थापन के दायरे में लाने और गांवों में हो रही खुली बैठकों में राजस्व विभाग के कर्मचारियों के साथ वाप्कोष कम्पनी का एक अधिकारी भेजे जाने का सुझाव दिया गया है। ज्ञापन में 49 बिन्दु शामिल किए गए हैं।

सिंगदा के क्षेत्र पंचायत सदस्य मनोज सामंत ने जिलाधिकारी के माध्यम से अलग से भेजे ज्ञापन में कहा है कि पंचेश्वर बांध से उनका आधा गांव डूब क्षेत्र में आ रहा है। शेष आधा गांव डूब क्षेत्र के ठीक ऊपर है। बांध बनने के बाद गांव के उपरी हिस्से में भविष्य में भू-स्खलन, बादल फटने जैसी घटनाएं घट सकती हैं। उन्होंने कहा कि घाट से उनके गांव की सीधी दूरी एक किमी है। दूसरी ओर मल्ली बेट्टा को बांध प्रभावित क्षेत्र में लिया गया है, जो सिंगदा के लिसाड़ी तोक और मसराड़ से अधिक ऊंचाई पर है। उन्होंने लिसाड़ी और मसराड़ को भी डूब क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।