(उत्तरकाशी) साल 2012 की विनाशकारी बाढ़ के आठ साल बाद भी बाद भी अस्सी गंगा घाटी के हालात नहीं सुधरे हैं। हालात यह हैं कि आपदा में क्षतिग्रस्त मार्ग और पुल-पुलियों का आज तक निर्माण नहीं हो पाया है। अगले साल 2013 में केदारनाथ आपदा में भी इस क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ था।
अगोड़ा गांव के ग्रामीणों ने डोडीताल ट्रैक पर बेवरा नामे तोक में अपनी आवाजाही के लिए अस्थायी पुल का निर्माण किया है। ग्रामीणों का कहना है कि आखिर कब तक इसी प्रकार अस्थायी पुलों का निर्माण करना पड़ेगा। सूखे पेड़ों के तनों से बना पुल ही इनके आने जाने का सहारा है। ग्रामीणों ने कहा कि 2012 की बाढ़ और वर्ष 2013 की आपदा के दौरान विश्व प्रसिद्ध डोडीताल और अस्सी गंगा के चार गांव अगोड़ा, भंकोली, ढासड़ा, दंडालका गांव को जोड़ने वाला संगमचट्टी से अगोड़ा तक 5 किमी पैदल ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था। इस दौरान क्षतिग्रस्त सड़कें, पुल व पुलियों का निर्माण आज तक नहीं हो पाया। बारिश के सीजन में ग्रामीण क्षतिग्रस्त रास्तों पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध डोडीताल ट्रैक के पास 2012 की विनाशकारी बाढ़ के दौरान जडिगाड़ का पुल बह गया था। यह पुल डोडीताल पर्यटन दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। आठ वर्षों से इस पुल का निर्माण नहीं हो पाया था। इसलिए ग्रामीण हर वर्ष यहां पर श्रमदान से अस्थायी पुलिया का निर्माण करते हैं। जो हर वर्ष भारी बारिश के दौरान बह जाता है।