रुड़की का केरोसिन फैन विदेशों में बढ़ा रहा देश की शान

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रुड़की
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अंग्रेजी शासनकाल से अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाली शिक्षानगरी रुड़की वर्तमान में भी अपनी प्राचीन पहचान को कायम रखने में सफल है। इन दिनों केरोसिन फैन को लेकर रुड़की आम लोगों के बीच चर्चा में है। यहां के अरशद मूमान ने 200 साल पुराने पंखे को रेनोवेट कर नया रूप दिया है। भाप से चलने वाले इस पंखे की चर्चा आज देश में ही नहीं विदेश में भी है।
आवश्यकता ही खोज की जननी है। यह भाप चालित पंखा इस कहावत का  सटीक उदाहरण है। करीब 200 साल पहले जब ये पंखा वजूद में आया होगा तो शायद बिजली का किसी ने नाम भी न सुना हो। मगर आज जब पूरी दुनिया लाइट से जगमगा रही है, तो ऐसे समय भी इस भाप और केरोसिन चालित पंखे की चमक कम नहीं पड़ रही है। पहले यह सम्पन्न लोगों की गर्मी दूर भगाने के काम आता था।
रुड़की में रहने वाले अरशद मामून बताते हैं कि उनके पूर्वजों से यह पंखा उन्हें मिला है। इस पंखे को देखकर उन्होंने कुछ ऐसे ही भाप से चलने वाले पंखे को रेनोवेट किया है। पंखे की मांग देश के अलावा विदेश में भी है। अरशद मामून बताते हैं कि इसी पंखे से उनका कारोबार शुरू हुआ। लंबे अरसे से यह पंखा परिवार के भरण-पोषण का जरिया बना हुआ है। अरशद ने बताया यह भाप चालित पंखा मायानगरी मुंबई के लोगों को खूब रास आता है। स्पीड कम होने के कारण ज्यादातर लोग इसे शोपीस के रूप में रखते हैं।
बड़े संस्थानों के छात्र मॉडल तैयार कराने से लेकर प्रैक्टिकल के लिए अरशद की इस छोटी सी वर्कशॉप में आते हैं। बचपन से इंजीनियरिंग का हुनर रखने वाले अरशद का कहना है कि बिना इंजीनियरिंग की पढ़ाई और बिना डिग्री के यह अनुभव उनके पुरखों से मिला है। अरशद बताते हैं कि यह भाप का पंखा केरोसिन से चलता है। पहले पंखे के नीचे वाले हिस्से में तेल डालकर दीये के रूप में जलाया जाता है। इसके बाद पिस्टन की मदद से इसको चलाया जाता है।