ऋषिकेश। गंगा नगरी कहे जाने वाले ऋषिकेश मे भी प्यास बुझाने के लिए लोगों को जेब ढीली करनी पड़ रही है। गर्मी के बढ़ते ही देवभूमि मे पानी का धंधा चमक गया है। आरओ प्लांट के पानी के नाम पर ऐसे पानी की सप्लाई की जा रही जो लोगों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। पानी का धंधा करने वाले लोग सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
शहर में करीब विभिन्न प्लाटों से हजारों केन पानी की सप्लाई रोजाना की जाती है।
आरओ के नाम पर अधिकांश सप्लायर लोगों को सामान्य पानी ठंडा करके पिला रहे हैं। कम गुणवत्ता के कारण जल जनित बीमारियां फैलने का डर बना हुआ है। मनमानी तरीके से लोग धरती की कोख से पानी निकाल कर उससे मोटी कमाई कर रहे हैं। दिलचस्प यह भी है कि यहाँ आरओ प्लांट के के पानी के नमूने लिए जाने को लेकर स्वास्थय विभाग का रवैय्या हमेशा ही उदासीन रहा है। केन में सप्लाई होने वाला पानी पीने योग्य है भी की नहीं इसकी जांच भी नही की जा रही।जबकि जानकर बताते हैं कि जरा सी लापरवाही से इनके पानी में जल जनित बीमारियां के बैक्टीरिया पनप सकते हैं।इसमें पीलिया, हैजा, डायरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त धार्मिक एवं पर्यटन नगरी ऋषिकेश मे पिछले कुछ वर्षो मे पानी का धंधा खूब चमका है।विभिन्न वाटर सप्लाई के प्लांट यहां लगे हैं। इन प्लांटों से पानी लेकर कैंपर द्वारा शहर में वाटर सप्लाई का कार्य किया जाता है। पानी के केन दुकानदारों, व्यवसायिक संस्थानों के अलावा अब घरों में भी पहुंचने लगा है। सप्लायर सुबह गाड़ियों मे केन भरे पानी भरकर लाते हैं। पानी भरा केन रख देते हैं और खाली केन लेकर चले जाते हैं। प्रत्येक केन बीस लीटर का होता है। एक केन की सप्लाई 25 से 30 रुपये में हो रही है। शहर समेत ग्रामीण इलाकों मे हजार केन पानी की सप्लाई की जाती है। इस हिसाब से आरओ प्लांट के पानी का रोजाना तगड़ा कारोबार हो रहा है। बड़ा सवाल यह है कि पानी के धंधे की जांच को लेकर सम्बंधित विभाग आंखें क्यो मींचे हुए है।