(ऋषिकेश) पिछले दिनों उत्तराखंड की नदियों और झीलों में पानी का स्तर सामान्य से कम देखा गया। क्या नदियों में कम होता जल प्रवाह किसी बड़े खतरे की घंटी है? या बड़ी परियोजनाओं ने राज्य में गंगा को सूखने पर मजबूर कर दिया है? ऐसे ही कुछ सवालों को लेकर एनजीटी ने केंद्र और राज्य सरकार को नवम्बर 2015 में नोटिस थमाए थे, लेकिन न राज्य सरकार चेती और न ही केंद्र सरकार। अब दूसरी तस्वीर ऋषिकेश के गंगा तटों की है। जहां गंगा का जल स्तर धीरे धीरे पीछे सरकता हुआ आज लगभग 200 मीटर पहुंच गया है। गंगा त्रिवेणी घाट से 200 मीटर दूर बह रही है जिस से जल की कमी ऋषिकेश आने वाले हज़ारों श्रधालुओं को ही नहीं बल्कि गंगा के तट पर बसे हजारो लोगों पर पड़ेगी। साथ ही गंगा में रह रहे जीवों पर भी इसका असर शुरू हो गया है।
अपने ही घर में गंगा के ये हालात सभी को चिंता में डाल रहे हैं। टिहरी डाम में भी पानी की कमी साफ़ देखी जा रही है। टिहरी झील का जल स्तर कम होता जा रहा है यही हालत श्रीनगर डाम के और अन्य विद्युत परियोजनाओं की है। पर्यटन नगरी ऋषिकेश में स्वर्गाश्रम गंगा नौकायन बंद हो गया जिसकी वजह पानी की कमी है। साथ ही राफ्टिंग व्यवसाय भी पानी की कमी पर्यटकों को रोमांच नहीं दे पा रही है जिस से लोगो में निराशा है।
ऋषिकेश वो स्थान है जहां से गंगा पहाड़ों से उतर कर मैदानों का रुख करती है। यहाँ से गंगा में जल की कमी का अहसास मैदानी इलाको खास कर पशिमी उत्तर प्रदेश और गंगा तटीय खेती वाले भू भाग पर पड़ेगा। इस संकट पर अभी भी अगर सरकराें नहीं जागी तो आने वाले समय में ये सिचाई के साथ साथ पीने के पानी की भी बड़ी समस्या बन सकता है।