उद्गम पर रिस्पना के पानी की गुणवत्ता ए-ग्रेड

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    देहरादून। उद्गम स्थल पर रिस्पना नदी का पानी जीवन के सभी तत्वों से परिपूर्ण है। जबकि दून में आते ही पानी की गुणवत्ता जहर की तरह बन जाती है। देव दीपावली के उपलक्ष्य पर रिस्पना के उद्गम स्थल के पास ऋषिपर्णा घाट पर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की ओर से कराई गई सैंपलिंग में यह बात निकलकर सामने आई।

    स्पैक्स संस्था ने ऋषिपर्णा घाट पर नदी की तीन अलग-अलग धाराओं के सैंपल भरे और पहली बार विधानसभा के पास रिस्पना पुल पर भी नदी के पानी के सैंपल लिए गए। रिस्पना बचाओ अभियान के तहत पानी की सैंपलिंग कराई गई, ताकि सरकार व जनसामान्य को बताया जा सके कि प्रयास किए जाएं तो रिस्पना नदी का पानी उद्गम स्थल की तरह ही पीने योग्य बनाया जा सकता है। रिस्पना नदी के उद्गम स्थल के पास व करीब पांच किमी दून में रिस्पना पुल पर पानी के सैंपल में पीएच, टीडीएस, ऑयल-ग्रीस, डिजॉल्व ऑक्सीजन, बायलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड समेत 15 पैरामीटर पर जांच की गई। ऋषिपर्णा घाट पर रिस्पना का पानी ऑक्सीजन की मात्रा से भरपूर नजर आया, जबकि रिस्पना पुल पर ऑक्सीजन का स्तर शून्य था।
    शहरीकरण की दौड़ में दून के पानी में अप्रत्याशित रूप से ऑयल और ग्रीस की मात्रा भी पाई गई। जबकि उद्गम स्थल के पास यह यह मात्रा शून्य रही। इसके अलावा पानी में जो तमाम हानिकारक तत्व उसे जहर बना देते हैं, वे सभी रिस्पना पुल के पास लिए गए पानी के सैंपल में पाए गए हैं। स्पैक्स संस्था के सचिव डॉ. बृजमोहन शर्मा का कहना है कि पानी की जांच के परिणाम स्पष्ट कह रहे हैं कि रिस्पना नदी का पानी आज भी ए-ग्रेड का है, जरुरत सिर्फ शहरी क्षेत्र में नदी को स्वच्छ बनाने की है।

    शहर में ये हानिकारक तत्व भी मिल रहे
    क्लोराइड, फासफेट, फ्लोराइड्स, नाइट्रेट्स, आयरन, मैग्नीज (सभी की मात्रा बेहद अधिक पाई गई)

    उद्गम और शहर में गुणवत्ता का फर्क
    पैरामीटर, उद्गम स्थल, रिस्पना पुल
    पीएच, 7.45, 4.2 से 8.7
    टीडीएस, 42, 750 से 1600
    ऑयल-ग्रीस, शून्य, 26
    डिजॉल्व ऑक्सीजन, 7.1, शून्य
    बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, 1.0, 2200
    कॉलीफॉर्म, शून्य, 1700
    फीकल कॉलीफॉर्म, शून्य, 312
    लैड, शून्य, 0.8

    इस गुणवत्ता का पानी पीने योग्य
    -डिजॉल्व ऑक्सीजन (घुलित ऑक्सीजन) की मात्रा 06 मिलीग्राम प्रति लीटर या इससे अधिक होनी चाहिए।
    -बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा 02 मिलीग्राम प्रति लीटर या इससे कम होनी चाहिए।
    -कॉलीफॉर्म की मात्रा मोस्ट प्रोबेबल नंबर (एमपीएन) प्रति 100 मिलीलीटर में 50 या इससे कम।