साहित्यकार सुरेन्द्र पुण्डीर के आकस्मिक निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर

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Courtesy: Sameer

मसूरी: साहित्यकार, पत्रकार, शिक्षक व कवि सुरेन्द्र पुण्डीर का आज मसूरी में निधन हो गया। सुरेन्द्र पुण्डीर के आकस्मिक निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। अनेक लेखक, पत्रकार, गणमान्य नागरिकों व संस्कृतिकर्मियों ने स्वर्गीय पुण्डीर के निधन को साहित्य जगत के लिए अपूरणीय छति बताया।

साहित्यकार सुरेन्द्र पुण्डीर जौनपुर की संस्कृति, लोक देवी देवता तथा यहां के विशिष्ट लोकजीवन पर अनेक पुस्तकें लिखने के लिए याद किये जाएंगे। जौनपुर के बारे में उनसे ज्यादा लेखक ने नहीं लिखा। “मसूरी के शहीद” समेत उनकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हुई, तथा अभी उनका लेखन कार्य निरंतर चल रहा था।

सहज, सरल, सौम्य, ईमानदार, परिश्रमी व्यक्तित्व के धनी सुरेंद्र पुंडीर जी के निधन पर पत्रकार संगठनों एक्टिव मीडिया प्रेस क्लब, प्रेस क्लब ऑफ़ मसूरी के सदस्यों के साथ मसूरी के लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त की।

सुरेंद्र पुण्डीर मसूरी में साहित्यिक संस्था “अलीक” के संस्थापकों में भी रहे हैं, उनकी सक्रियता के चलते 1990 के दशक के आखिर तक मसूरी और आसपास अलीक की मासिक साहित्यिक गोष्ठियां नियमित तौर पर होती रहीं।

पत्रकार के रूप में वे 1986 में अमर उजाला की शुरुआती टीम के साथ बतौर मसूरी से संवाददाता के तौर पर जुड़े और बाद में मसूरी टाइम्स समेत कुछ अन्य पत्रों से भी उनका जुड़ाव रहा। उन्होंने जौनपुर ब्लाक स्थित इंटर कॉलेज घोड़ाखुरी में कर डेढ़ दशक तक अध्यापक के तौर पर भी कार्य किया। वे हर छोटे-बड़े को “गुरुजी” कह कर सम्बोधित करते थे। 63 साल की उम्र में उनका देहान्त हुआ, अपने पीछे वे पत्नी और एक पुत्री को छोड़ गए।