गोपेश्वर, चमोली जिले के कई इलाकों में हल्की बारिश के चलते काश्तकार धान की रोपाई को लेकर परेशान हैं। प्राकृतिक जल स्रोत भी सूखे पड़े हैं। ऐसे में किसानों को निजी संसाधनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
चमोली जिले के अधिकांश क्षेत्रों में औसत से भी कम बारिश हुई है। खेतों में खड़ी धान की पौध भी सूखने लगी है। जिसके चलते काश्तकारों के चेहरे भी मुरझाने लगे हैं। यदि समय रहते बारिश नहीं हुई तो किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
गंगोलगांव के कुछ काश्तकारों ने निजी संसाधन से आसपास के खेतों में रोपाई का काम शुरू किया है, लेकिन दूर दराज के खेतों में नल से पानी पहुंचाना संभव नहीं हो पा रहा है।
गांव के मुकेश सिंह रावत, बृजेश रावत, कन्हैया और विनय आदि का कहना है कि बारिश न होने से इस बार धान की रोपाई समय से नहीं हो पाई है। खेतों में खड़ी धान की पौध भी अब सुखने लगी है। ऐसे में उन्होंने गांव के नजदीक के खेतों में नल से पानी लगाकर रोपाई करने का निर्णय किया, परंतु दूर दराज के खेतों में यह संभव नहीं है। ऐसे में मौसम पर ही सब निर्भर करता है।