पुलमावा हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो प्रमुख एलान किये थे। एक के अनुसार उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सेना को निर्णय करने का अधिकार दे दिया। दूसरा यह कि पाकिस्तान से अब वार्ता का समय निकल चुका है, अब उसे सबक सिखाया जाएगा। इसके अलावा मोदी ने कहा था कि वह इस मसले पर भारतीय जन भावना को समझते हैं। पाकिस्तान की सीमा में जाकर आतंकी ठिकानों को नष्ट करना ऐसा ही निर्णय था।
यह भी तय हुआ कि नरेंद्र मोदी अपने अंदाज में राष्ट्रीय हित की दिशा में आगे बढ़ते रहते हैं। विपक्ष के हमलों को वह तरजीह नहीं देते हैं। विपक्ष की आलोचना सकारात्मक होती तो बात अलग थी। लेकिन मोदी के खिलाफ उनका सदैव नकारात्मक ही रह है। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तभी से यह सब चल रहा है। प्रधानमंत्री बने तो विपक्ष की बेचैनी ज्यादा बढ़ गई। इसके पहले किसी भी प्रधानमंत्री के लिए ऐसे अपशब्दों का प्रयोग नहीं किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ,आम आदमी पार्टी के नेता आदि तो सभी हद को पार कर गए।
पुलमावा हमले के बाद विपक्ष का रुख उचित था। लेकिन कुछ घण्टे बाद हुई सर्वदलीय बैठक में उनके स्वर बदल गए। वह पाकिस्तान पर हमले से बचने की सलाह देते रहे। इसके बाद नरेंद्र मोदी पर हमले होने लगे। कांग्रेस प्रवक्ता मोदी की एक शूटिंग को लेकर हमलावर हो गए। यह दिखाने का प्रयास किया गया कि मोदी की पुलमावा हमले को कोई चिंता नहीं है, वह अपने कार्यक्रम के अनुसार चल रहे है। यहां तक कह गया कि मोदी ने सेना को जो अधिकार दिया है, वह एक धोखा है। इस अवधि में वह दक्षिण कोरिया गए। वहां शांति पुरष्कार की जो राशि मिली वह नमामि गंगे योजना में दान कर दी। इस यात्रा में दक्षिण कोरिया से पांच समझौते भी किये गए। इसके बाद वह कुंभ पहुंच गए। विपक्ष हमला करता रहा। मोदीं को लापरवाह प्रमाणित किया जा रहा था। लेकिन मोदी अपने मिशन में लगे थे। उनके दिमाग मे पुलमावा चल रहा था। विपक्ष के नेता जब देर रात में विश्राम कर रहे होते थे, मोदी सुरक्षा अधिकारियों के साथ योजना बना रहे होते थे।
पुलमावा हमले के बाद विपक्ष को राष्ट्रीय सहमति का भाव दिखाना चाहिए था। नाइन इलेवन को अमेरिका में आतंकी हमला हुआ था। तत्कालीन राष्ट्रपति बुश ने बदला लेने का एलान किया। विपक्ष ने आंख मूंद कर उन्हें समर्थन दिया। कहीं से भी बुश के खिलाफ आवाज नहीं सुनाई दी। इसके विपरीत, भारत में स्वार्थ और वोट बैंके की सियासत चलती रही।
इसके पहले मोदी की विदेश यात्राओं पर जम कर तंज किये जाते थे। यह उनकी विदेश यात्राओं का ही असर था कि भारत को अधिकांश देशों का समर्थन किया। इस्राइल ने तो यहां तक कहा कि भारत हमला करे, बाकी उस पर छोड़ दे, वह आतंकियों और पाकिस्तानियों को सबक सिखा देंगे।
मोदी ने अपने राष्ट्रीय दायित्व का निर्वाह किया। लेकिन कई विपक्षी पार्टियां इस राष्ट्रीय भावना और सहमति में शामिल नहीं थी। यह सन्तोष का विषय है कि भारत की एयर स्ट्राइक सफल रही। वायु सेना बधाई की पात्र है। उसने सुरक्षित स्ट्राइक को अंजाम दिया। छह आतंकी ठिकाने नष्ट किये गए। इसमें पाकिस्तान का कोई नागरिक मारा नहीं गया। राहुल गांधी जैसे लोग आत्मचिंतन करें। ये राफेल पर वायु सेना प्रमुख और उप प्रमुख के बयानों का मखौल उड़ा रहे थे। उन दोनों अधिकारियों का कहना था कि राफेल में कोई गड़बड़ी नहीं थी। जबकि राहुल अपना नारा अलापते रहे। पाकिस्तान सकते में है। उन्नीस सौ इकहत्तर के बाद पहली बार पाकिस्तान में भारतीय वायु सेना ने हमला किया है। भारत ने पहले हमला नहीं किया। यह पुलमावा के खिलाफ जबाबी कार्रवाई थी। वहाँ अनेक पूर्व सैन्य कमांडरों ने कहा था कि इमरान खान पुलमावा को मुम्बई हमले जैसा न समझें। उन्हें लग रहा था कि नरेंद्र मोदी कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। यह गनीमत है कि विपक्ष ने फिलहाल इसका समर्थन किया है। अभी तक किसी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर पिछली बार की तरह सवाल नहीं उठाया। लेकिन कुछ दिन बाद उनके स्वर नहीं बदलेंगे ,इसकी कोई गारंटी नहीं है। यह अच्छा था कि सरकार ने विपक्ष से कोई मशवरा नहीं किया था। अन्यथा इनमें से कुछ नेता हंगामा खड़ा कर सकते थे। इससे पाकिस्तान सावधान हो सकता था। स्ट्राइक पर गए भारतीय विमान जब तक वापस नहीं आ गए, मोदी अपने सहयोगियों के साथ जागते रहे। बताया जा रहा है कि पुलमावा के बाद से ही सेना को अनुमति मिल गई थी।
यह गोपनीय रहे ,इसके लिए मोदी ने अपने किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव नहीं किया। वह आलोचना झेलते रहे, लेकिन उनकी तैयारी चल रही थी। पहले इमरान ने परमाणु बम के प्रयोग की धमकी दी थी। पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने कहा था कि भारत यदि पचास परमाणु बम गिरा देगा तो पाकिस्तान मिट जाएगा। इमरान के भी स्वर बदले। इमरान ने शांति लाने का एक मौका देने की भारत से अपील की। भारत पुलवामा अटैक पर पाकिस्तान को ख़ुफ़िया जानकारी देता है तो वह अवश्य कार्रवाई करेंगे। इमरान का यह बयान बचकाना था। मुम्बई हमले के पुख्ता प्रमाण पर पाकिस्तान ने कुछ नहीं किया था। जबकि मोदी ने कहा था कि इस बार हिसाब होगा और बराबर होगा, यह बदला हुआ भारत है, यहां बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। हम बखूबी जानते हैं कि आतंक को कैसे कुचला जाना है। मोदी ने जो कहा, उसे कर दिखाया। उन्होंने छप्पन इंच का सीना दिखा दिया।