वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (डब्लू आई आई) देहरादून में रविवार को दो नई बिल्डिंगों की आधारशिला रखी गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अनिल माधव दवे, राज्य मंत्री, पर्यावरण वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार व विशिष्ट अतिथि डा.एस.एस नेगी,वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव भी मौजुद थे। इस समारोह में महिला छात्रावास और अतिथि गृह की नींव रखी गई।इस कार्यक्रम में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के डायरेक्टर डा.वी.बी माथुर ने बताया कि उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय से पिछले साल कैंपस में दो नई बिल्डिंगों को आवश्यकता बताई थी और मार्च में उनकी यह डिमांड पूरी हो गई और आज उसकी आधारशिला भी रख दी गई है। उन्होंने बताया कि इस निर्माण कार्य के लिए मंत्रालय से संस्थान को पांच करोड़ राशि प्रदान की गई है। डब्लू आई आई अपने कैंपस को डिजीटल बनाने के लिए कार्यरत है और आने वाले समय में उम्मीद हैं कि पूरा कैंपस डिजीटाइज्ड होगा,इतना ही नहीं एनर्जी कन्जरवेशन के लिए भी इंस्टीट्यूट ने विशेष प्रबन्ध किये है जिसके बलबूते पर पूरा कैंपस सोलर होने के कगार पर है।
डा.एस.एस नेगी,डायरेक्टर जनरल आफ फारेस्ट ने कहा कि यह इंस्टीट्यूट भारत का एक यूनिक इंस्टीट्यूट है क्योंकि इसमें केवल भारत नहीं बल्कि यूरोप और दूसरे देशों के बच्चे आकर शोध करते हैं और इसकी कनेक्टिवीटी भारत से बाहर के देशों में भी है। उन्होंने कहा कि हाल में जो मैन एनिमल कन्फिल्क्ट,इंसानों की बस्ती में हाथी,नीलगाय और बंदरों के आने की समस्या बढ़ी है उसको रोकने में यह इंस्टीट्यूट एक महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि अभी यह इंस्टीट्यूट सौराष्ट्र यूनिर्वसिटी गुजरात व एफ.आर.आई के अंर्तगत आता है और आगे आने वाले समय में भारतीय वनजीवन संस्थान को अपने लिए खुद काम करना चाहिए। उन्होंने वहा मौजूद पर्यावरण मंत्री से अपील की भारतीय वनजीवन संस्थान को डीम्ड यूनिर्वसिटी घोषित करना एक उचित फैसला होगा क्योंकि इससे उसके काम का दायरा तो बढ़ेगा ही साथ ही वो खुद अपनी डिग्री पर ठीक तरीके से काम कर पाऐंगे।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फारेस्ट डिर्पाटमेंट को प्रोटेक्टेड एरिया के बाहर आने वाले वाईल्डलाईफ विषयों पर भी काम करना चाहिए।