नौ साल बाद संवासिनी के घर का लगा पता

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काशीपुर, राजकीय नारी निकेतन में रह रही संवासिनी पिंकी की पहचान काशीपुर के रूप में हुई है। किशोरी रामनगर रेलवे स्टेशन पर करीब नौ साल पहले पुलिस को मिली थी जिसे देहरादून भेज दिया गया था।

रामनगर रेलवे स्टेशन पर वर्ष 2008 में पुलिस को करीब सात साल की एक लड़की मिली थी। पुलिस ने पूछताछ की, मगर मूकबधिर होने के कारण वह कुछ बता नहीं सकी। पुलिस ने लड़की को नारी निकेतन हल्द्वानी भेज दिया जहां पर वह करीब दो साल रही। इसके बाद लड़की को नारी निकेतन, देहरादून भेज दिया गया है।

करीब डेढ़ साल पहले ऋतु शर्मा की मूक बधिर विशेषज्ञ के पद तैनाती की गई तो निकेतन में रहने वाली लड़कियों व बच्चों के नाम व पते लगाने में जुट गई। उन्होंने जब रामनगर से मिली किशोरी से इशारों में बात की तो किशोरी ने अपना नाम पिंकी बताया। पिता का नाम मदन व माता का नाम मीना निवासी सिनेमा हाल के पास बताया। निकेतन के अफसरों ने पुलिस विभाग से संवासिनी के बारे में पता बताने को कहा।

पुलिस ने जब रिक्शा यूनियनों से पूछताछ की तो पता चला कि पिंकी के पिता मदन लाल बाजपुर रोड स्थित दीपक सिनेमा के पास अंडे व पकौड़ी की ठेली लगाते थे। करीब 8-10 साल पहले मदन की मौत हो गई। पिंकी के भाई मनोज रिक्शा चलाकर परिवार का खर्च चलाता था। वह 8-10 साल पहले परिवार के साथ मुरादाबाद चला गया, जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष डॉ. रजनीश बत्रा ने बताया कि पिंकी की बहन का नाम ऋतु है। बताया कि पिंकी घर से गुरुद्वारा के लिए निकली थी और वह भटक कर रामनगर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई थी।

राजकीय नारी निकेतन, देहरादून में करीब डेढ़ साल में मानसिक रूप से विक्षिप्त 80 महिलाओं को उनके घर पहुंचाया गया। 225 बच्चों को उनके घर पहुंचाया गया। मूक बधिर विशेषज्ञ ऋतु शर्मा के साथ पिंकी से पूछताछ की तो उसने काशीपुर का पता बताया। यदि परिवार को जानकारी मिल जाएगी तो पिंकी को उसके घर पहुंचा दिया जाएगा।