उत्तराखंड में जहां एक तरप पहाड़ के लोग लगातार पलायन कर रहे हैं औऱ पलायन सरकार के लिये बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है वहीं आज हम आपको ऐसी युवती की कहानी बताते हैं जिन्होने बाहर से आकर इस पहाड़ी राज्य को ही अपना घर बना लिया। मूल रुप से राजस्थान निवासी साइंटिस्ट कीर्ति कुमारी रानीचौरी के कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत हैं और अब तक बहुत सी महिलाओं और युवाओं को जीवन जीने की राह दे चुकी हैं।
अक्टूबर 2013 से अपने क्षेत्र में काम करते हुए कीर्ति ने लगभग छः सौ लोगों को ट्रेनिंग दी है और आज उत्तराखंड राज्य के अंदर इनके ट्रेनिंग और साथ से बहुत से युवा फूड प्रोसेसिंग में काम कर रहे हैं।
26 साल की कीर्ति ने फूड प्रोसेसिंग टेक्नॉलिजी में एम.टेक किया है और फलिहाल वह फूड टेक्नॉलिजी में ही साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। फूड टेक्नॉलिजी के अलावा कीर्ति होम साइंस और पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी पर भी काम करती हैं।
कीर्ति से हुई न्यूज़पोस्ट की बातचीत में उन्होंने बताया कि “टिहरी में मेरी नौकरी की पहली पोस्टिंग है और मुझे यहां काम करना पसंद है।लगभग 5-6 सौ लोगों को ट्रेनिंग देने के बाद उनमें से कुछ लोगों को अपने लिए काम करता देख मुझे बहुत अच्छा लगता है।” कीर्ति बताती हैं कि “हम महिलाओं को ट्रेनिंग देते हैं ताकि वह आत्मनिर्भर हो सकें।इसके अलावा दूर दराज गांवों में हम प्रेग्नेंट महिलाओं को न्यूट्रीशन के बारे में जागरुक करते हैं जिससे होने वाला बच्चा स्वस्थ हो सके।” कीर्ति बताती है पहाड़ों में प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की देखभाल को लेकर लोग कम जागरुक हैं और ऐसे में हम महिलाओं को मल्टी ग्रेन आटे से लेकर स्वास्थवर्धक खाना खाने की जानकारी देते है और उनके अंदर पोषण की कमी ना हो इसलिए हम उन्हें 3-4 महीने निशुल्क मल्टीग्रेन आटा भी उपलब्ध कराते हैं।
कीर्ति ने अब तक पहाड़ के लिए बहुत से युवाओं को तैयार किया जो आज अपने बल-बूते पर अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। चाहे वो कोदर्फी बनाने वाले देवकौश आर्गनाइजेशन हो, चाहें ऑयस्टर मशरुम की खेती मे क्रांति लाने वाले देवभूमि एग्रीवेंचर हो, चिया की खेती करने वाले आर्गेनिक गढ़वाल हो, देवभूमि नेचुरल फूड्स हो या फिर हिमालयन नेचुरल फूड प्राइवेट लिमिटेड हो।
कीर्ति भविष्य में राज्य में किसानों और युवाओं की बेहतरी के लिए टिहरी गढ़वाल में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री सेटअप करना चाहती हैं जिससे राज्य के किसान और यहां के युवाओं को खेती करने के लिए प्रेरणा मिल सके और साथ ही पहाड़ी राज्य में होने वाली फसल की एक ब्रांडिंग हो सके।
कीर्ति ने बताया कि कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिसका प्रपोज़ल भी सरकार को जा चुका है जिसमें एक 25 लाख का मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट और क्वालिटी कंट्रोल यूनिट फॉर कैपेसिटी बिल्डिंग हैं। उनका मानना है कि अच्छे और गुणवत्ता वाले ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना होने से किसान और युवा एंट्रोप्रेन्योर को बहुत मदद मिलेगी। इसके साथ साथ कीर्ती औऱ उनकी संस्थान
- क्षेत्रीय फसलों जैसे कि फिंगर मिलेट, बार्नयार्ड मिलेट, अमरनाथ ग्रेन और फोक्सटेल मिलेट आदि पर है।
- अब किसानों को बिना किसी फीस की ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग फलों और सब्जियों को उगाने के लिए महत्तवपूर्ण पहलूओं को जाने सके।
- मशरूम प्रोसेसिंग यूनिट, अदरक प्रोसेसिंग यूनिट, जंगली खुबानी के तेल एक्सट्रेक्शन यूनिट, मौजूदा खाद्य प्रोसेसिंग यूनिट के अपग्रेडेशन यूनिट जो किसानों के खेतों में ही स्थापित किए जाएंगे। ये सारी परियोजनाएं किसान समुदाय के बीच रोजगार प्रदान करेंगी।
- स्थानीय फसल जैसे की मिलेट के फायदों और इसके बारे में भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। हाल ही में सुर्खियों में आई मंडुवा बर्फी भी कृषि विज्ञान केंद्र की पहल थी।
- इसके साथ साथ जैम, अचार, स्क्वैश, मुरबा, कैंडी आदि बनाने के लिए किसानों / महिलाओं / उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
अपने शहर और घर से दूर रहकर कीर्ति उत्तराखंड राज्य और यहां रहने वालों के लिए एक मिसाल की तरह हैं जो लोगों को काम करने के लिए प्रेरणा दे रही हैं। कीर्ति कहती हैं कि उत्तराखंड में काम करने का मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है और मैं अपने काम को ठीक तरह से कर रही हूं साथ ही यहां की खूबसूरती मुझे पसंद हैं इसलिए यहां रहना मेरे लिए ज्यादा मुश्किल नहीं है।
राज्य में बहुत से लोग कीर्ति की ट्रेनिंग के बाद अपना व्यापार शुरु कर चुके हैं और अपने साथ-साथ औरों को भी रोज़गार दे रहे हैं।कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेने के बाद बहुत से युवाओं ने नई शुरुआत की है और सफल भी रहे हैं। राज्य से पलायन रोकने के साथ-साथ युवाओं को आत्मनिर्भर होने की राह देने वाली कीर्ति जैसे बहुत से लोगों की राज्य को जरुरत है।