वुमेन एन्ट्रीप्रिन्योर की परिभाषा सफल करता क्रिएटिव विंग

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है जुनून, है जुनून सा सीने में

हमारी अगली कहानी है,आपके और मेरे जैसी दो लड़कियां की जो एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखती है और अपने बल-बूते पर आगे बढ़ना चाहती हैं।

क्रिएटिव विंग्स, नाम सुनकर एक बात तो साफ हो गई कि कुछ क्रिएटिव है तो आइए जानते हैं क्रिएटिव विंग्स की ओनर रमिता और सोनाली से उनके बारे में।

क्रिएटिव विंग्स एक आनलाईन वेबसाइट है जिसको शुरु करने में देहरादून की दो लड़कियों का हाथ है।इस वेबसाइट पर आप तरह तरह की क्रिएटीव चीजें जैसे कि पेन स्टैंड,डायरी,टेबल घड़ी,गिफ्ट करने वाले आइटम आदि खरीद सकते हैं।कहने के लिए तो यह चीजें छोटी है लेकिन हर किसी की जिंदगी में इनका अलग हिस्सा है।

रमिता देहरादून की रहने वाली है।रमिता ने डीएवी पीजी कालेज से ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद,दून यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की।पढ़ाई खत्म करने के बाद हर किसी की तरह नौकरी पाने की होड़ और लगभग दो साल काम भी किया।लेकिन रमिता हमेश से ही कुछ अलग और कुछ अपना करना चाहती थी,बस फिर एक दिन अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया।इसेक बाद की राह रमिता के लिए थोड़ी मुश्किल जरुर थी लेकिन उन्होंने कभी हार ना मानी।हमेशा से कुछ अलग करने की सोच रखने वाली रमिता ने क्रिएटिव विंग्स की शुरुआत अकेले नहीं बल्कि उनके जैसे ही सोच रखने वाली सोनाली मनचंदा के साथ की।सोनाली भी देहरादून की रहने वाली हैं और उन्होंने अपना ग्रेजुएशन जीआरडी गर्ल्स से करने के बाद,दून यूनिर्वसिटी से एमबीए किया है।सोनाली और रमिता ने बहुत छोटे से अपना काम शुरु किया और बावजूद इसके अपनी वेबसाइट से यह सीएसआर यानि की र्कापोरेट सोशल रिस्पांसिबिलीटी का काम भी कर रही हैं।सीएसआर का मतलब अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा किसी दूसरी संस्था के लिए देना।यू तो बहुत सी बड़ी बड़ी कंपनिया आज के समय काम कर रही है लेकिन सीएसआर कुछ ही कर रहे है और उन कुछ में से क्रिएटिव विंग्स भी एक है।देहरादून के एनजीओ, आटिज्म वेलफेयर सोसाइटी के लिए क्रिएटिव विंग्स पहले दिन से काम कर रहा है और सोनाली कहती हैं कि अभी तो यह शुरुआत है हमारी राह थोड़ी संघर्ष से भरी जरुर है लेकिन एक ना एक दिन सफलता मिलेगी और क्रिएटिव विंग्स ऐसे बहुत से एनजीओ के साथ जुड़ कर आसमान की ऊचाइयों को छुएगा।

सोनाली और रमिता कहती हैं कि यह महसूस करना कि आप किसी और के लिए नहीं बल्कि अपने लिए काम कर रहे यह अनुभव अलग ही है। अपने लिए काम करना मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं और इतनी कम उम्र में खुद के लिए काम करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।