इस बैंड के सुरों से आती है महिला शक्ति की धुन

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जब मन में कुछ करने की चाह हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान हो जाती हैं और मंज़िल आपके सामने होती है, कुछ ऐसे ही बुलंद हौसले की कहानी है वुमनिया बैंड की।

सुनने में जरुर थोड़ा अलग लगे क्योंकि हमने हमेशा ही पुरुषों का बैंड देखा और सुना है लेकिन यह राज्य का पहला बैंड है जिसे पूरी तरह से औरतों द्वारा संचिलित किया जाता है। यह बैंड ना केवल उत्तराखंड बल्कि, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, चंड़ीगढ़, पंजाब, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी अपनी प्रस्तुति दे चुका है। दो साल पहले यानि की 8 मार्च 2016 को ऑफिशियली लॉंच हुए इस बैंड ने अपनी प्रतिभा से ना केवल लोगों को स्तबध कर दिया है बल्कि आज के समय में वुमनिया एरक ऐसा बैंड है जिसने देहरादून शहर के सभी अच्छे लाउंज में परफॉर्म किया है।

वुमनिया बैंड के बारे में और जानने के लिए हमने बैंड की सदस्य स्वाति सिंह से बात की, आइये आपको राज्य के इकलौते वुमेन बैंड के ग्रुप के बारे में बताते हैं।

स्वाति सिंह (33)वोकलिस्ट और गिटार, शाकुंभरी कोटनाला (40) बेस गिटार, दीपिका पांथरी (25)वोकल और कीबोर्ड और श्रीविद्या कोटनाला (12)ड्रमर, इन चारों के साथ से आज वुमनिया ने अपने नाम का डंका हर तरफ बजा दिया है और इस वजह से वुमनिया आज सुर्खियों मे है। स्वाति से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि, “मुझे बचपन से ही संगीत में रुचि थी और उसका कारण था मेरे माता-पिता क्योंकि मेरे परिवार में लोग संगीत से जुड़ाव रखते थे मुझे परिवार से हमेशा सहयोग मिला।”

स्वाति बताती हैं कि बैंड शुरु करने से पहले, “मैने म्यूजिक इंस्टीट्यूट खोला और अलग-अलग म्यूजिक शो में जाती रही।एक बात जो मुझे हमेशा खटकती थी वो यह थी कि हर जगह बैंड से लिए आरकेस्ट्रॉ में केवल पुरुष गाते थे। बैंड तो मैंने 6-7 साल पहले ही शुरु करने का सोचा लेकिन अफने जैसे जज्बे और जूनुन वाले लोग मिलना मुश्किल था।स्वाति पहले से अलग-अलग तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाती थी,समय के साथ स्वाति को अपने स्टूडेंट में ही अपने बैंड के साथी मिले और ऐसे शुरु हुआ वुमनिया बैंड।

womenia band member

वुमनिया बैंड सदस्यः चार लड़कियों के इस बैंड में सबसे कम उम्र 12 साल की है श्रीविद्या कोटनाला।आठवी क्लास में पढ़ने वाली श्रीविद्या पढ़ाई के साथ-साथ बैंड में ड्रम भी बजाती है।हालात जैसे भी हो श्री पढ़ाई के साथ-साथ अपने पैशन बैंड को समय जरुर देती हैं।वहीं बेस गिटार बजाने वाली शाकुंबरी कोटनाला शादी-शुदा होने की वजह से बहुत सारी जिम्मेदारियों के साथ वुमनिया को अपना समय देती हैं।तीसरी दिपिका पंथारी भी बैंक की नौकरी करती थे लेकिन बैंड के लिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी को भी पीछे छोड़ दिया।और स्वाति जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने जैसे लोगों को ढ़ूढ़ा और उनकी कला को तराशा जिसकी वजह से आज वुमनिया अपनी दूसरी सालगिरह मना रहा है।

स्वाति बताती हैं कि, “शुरु में हमें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा जो आसान इसलिए नहीं था कि लोगों के लिए यह एक नया विषय था।पहला साल हमने भी बहुत कठिनाईयों का सामना किया है समय के साथ चीजें बेहतर होती गई।”

स्वाति से यह पूछने पर कि बैंड में अलग-अलग उम्र के लोग होने से किसी परेशानी का सामना तो नहीं करना पड़ा? इसपर स्वाति का कहना था कि, “सबसे बड़ी बात यहीं है कि हम सब एक-दूसरे की जिम्मेदारियां और परेशानियों को समझते हैं और उसके अनुसार काम करते हैं।” अपनी सोच को सपने में बदलने के लिए स्वाति और उनके बैंड के सभी सदस्यों ने दिन रात एक करे मेहनत की है और नतीजा सबके सामने हैं।

आज वुमनिया बैंड एचटू स्कैव्यर, एचटू क्लब, टीजीआईपी, पैसिफिक मॉल, उत्तराखंड महोत्सव, उत्तराखंड पुलिस मैराथन, दिल्ली पुलिस, मसूरी कार्निवाल और कई बड़े जगहों पर अपनी प्रस्तुति दे चुका है।वुमनिया बैंड हर वुमेन डे पर एक नया गाना लॉंच करता है और इस साल भी उन्होंने अपना गाना ‘ओ रे चिरईया’ लॉंच किया है जिसे यूट्यूब पर काफी पसंद किया जा रहा है।

न्यूज़पोस्ट वुमनिया बैंड को उनकी इस सोच के लिए सलाम करता है और उन्हें भविष्य के लिए ढ़ेर सारी शुभकामनाएं देता है।