सीटू से सम्बद्ध उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन अपनी ने मांगों को लेकर गुरुवार को लोकल बस स्टेंड स्थित सीटू कार्यालय पर एकत्रित होकर तीन बजे दोपहर को सचिवालय कूच किया।
यूनियन की महामंत्री मोनिका ने कहा की सरकार को समय समय पर आन्दोलन करने के पश्चात भी सरकार ने उनकी एक नही सुनी जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें सचिवालय कूच करना पड़ा व आन्दोलन करना पड़ रहा है। उन्होंने इसकी सुचना जिला प्रशासन को पहले ही दे दी थी, किन्तु सुचना देने के बाद भी पुलिस द्वारा भोजन माताओं को सीटू कार्यालय से आगे नही बढ़ने दिया जा रहा था जिसका भोजन माताओं ने जम कर विरोध कर नारेबाजी शुरू कर दी और सचिवालय कूच किया सचिवालय कूच लोकल बस स्टैंड स्थित सीटू कार्यालय से इंद्रा मार्केट, लैंसडॉन चौक से होते हुए कनक चौक पर पुलिस ने बैरिकेट लगा कर रोक दिया। जिसके बाद भोजनमाताएं वहीं पर धरना दे कर बैठ गई और सभा की।
सभा को सीटू के जिला सचिव लेखराज ने सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार मध्याह्न भोजन योजना को निजी हाथो में दे रही है जिसका पुरजोर विरोध किया जायेगा जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ताजा पका हुआ भोजन ही बच्चों को दिया जाये जिसका उल्लंघन राज्य सरकार कर रही है। उन्होंने बताया कि संसदीय कमेटी द्वारा भी इस बात की पुष्टि की गई है लेकिन यह सरकार मध्याह्न भोजन योजना का निजीकरण करने पर उतारू है। सभा को सीटू के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र भंडारी ने केंद्र और राज्य सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा की केंद्र की मोदी सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन योजना के बजट में भारी कटौती की है, जिसके परिणम स्वरूप इस योजना को सरकर की बंद करने की मंशा है। उन्होंने कहा की राज्य सरकार द्वारा भोजन माताओं को कार्य से हटाने की गहरी साजिश है जिसको कतई बर्दास्त नही किया जायेगा।
यूनियन की महामंत्री मोनिका ने कहा की सरकार द्वारा भोजनमाताओं को निकला जा रहा है। निकाली गई भोजन माताओं को वापस कार्य पर नही रखा जाता है और उन्होंने कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर मुख्यमंत्री उन्हें वार्ता के लिए नही बुलाते है तो भोजनमाताएं बड़ा आन्दोलन करेंगी। प्रदर्शन के दौरान काफी संख्या में भौजन माताएं मौजूद रहीं।
ज्ञापन में रखी मांगें
– भोजनामाताओं से अतिरिक्त कार्य न कराया जाएं।
– भाजनमाताओं का स्वास्थ्य बिमा कराया जाए।
– न्यूनतम वेतन देकर निकाली गई भोजनमाताओं को वापस कार्य पर लिया जाए।
– कार्य से निकलना बंद करने व सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए।