महिला समूहों के लिए सौगात लेकर आई केदारनाथ यात्रा

0
421
केदारनाथ

कोरोना काल के बाद पटरी पर लौटी केदारनाथ धाम यात्रा इस बार जिले के लिए कई सौगात दे गई। इस वर्ष रिकाॅर्ड 15 लाख, 63 हजार से ज्यादा यात्रियों ने केदारनाथ धाम पहुंचकर दर्शन किए हैं। जिले में संचालित महिला समूहों के लिए भी यह यात्रा सुखद साबित हुई। कोरोना काल के बाद इस वर्ष महिला समूहों के व्यवसाय को नई ऊंचाइयां मिली। केदारनाथ यात्रा से जुडे़ विभिन्न महिला समूहों ने इस वर्ष करीब 48 लाख रुपये का व्यापार किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भरता एवं स्वरोजगार का मंत्र अपना कर दूसरों को रोजगार देने की अपील से प्रभावित जिले की महिलाएं सीधे तौर पर केदारनाथ यात्रा में अपना योगदान दे रही हैं। जिले में महिलाएं बाबा केदारनाथ धाम के लिए स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद तैयार करने के साथ ही यात्रा मार्ग पर रेस्तरां, कैफे संचालित कर एवं अन्य उत्पाद बेचकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि बाबा केदारनाथ में दुनियाभर से आने वाले तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद एवं बाबा केदारनाथ के सोविनियर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। साथ ही स्थानीय शहद, हर्बल धूप समेत कई उत्पाद महिलाएं तैयार कर यात्रियों को उपलब्ध करवा रही हैं। इसके अलावा स्थानीय खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने के लिए सरस रेस्तरां एवं हिलांस कैफे भी यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे हैं। करीब 20 महिला समूहों से जुड़ी महिलाएं यात्रा में योगदान देकर आत्मनिर्भरता की ओर सशक्त कदम उठा रही हैं। प्रशासन विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रयासरत है।

केदारनाथ धाम में जिले की महिलाओं द्वारा तैयार प्रसाद का विपणन करने वाले व्यापारी अर्जुन कुर्मांचली ने बताया कि कोरोना काल के बाद शुरू हुई यह यात्रा बेहद लाभदायक सिद्ध हुई है। उन्होंने विभिन्न हैलीपैड एवं मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों को करीब 43 लाख रुपये का प्रसाद बेचा है। उन्होंने बताया कि उनके पास जिले भर की करीब 20 महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार चैलाई के लड्डू, हर्बल धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग आदि पहुंचता है। इसके अलावा गंगा जल के लिए पात्र एवं मंदिर की भस्म भी प्रसाद पैकेज का हिस्सा हैं। पूरे पैकेज की कीमत 250 रुपये निर्धारित की गई है, जिसके अतिरिक्त 50 रुपये मंदिर समिति एवं हैली कंपनियों को राॅयल्टी दी जाती है।

एनआरएलएम के ब्लाॅक समन्वयक सतीश सकलानी ने बताया कि देवीधार उन्नत्ति क्लस्टर ने पूरी यात्रा के दौरान ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से प्रसाद बेचकर करीब 42 रुपये का कारोबार किया है।

केदारनाथ प्रसाद उत्पादक फेडरेशन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह सजवाण ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने करीब 50 क्विंटल चैलाई के लड्डू एवं चूरमा तैयार कर केदारनाथ में बेचा है। पिछले छह महीनों में उन्होंने 60 महिलाओं को रोजगार दिया, जिसमें 30 महिलाएं एनआरएलएम के तहत गठित समूहों के माध्यम से उनसे नियमित तौर पर जुड़ी हैं। पूरी यात्रा के दौरान उन्होंने करीब 22 लाख रुपये के लड्डू एवं चूरमा बेचा है। उन्होंने बताया कि समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रतिदिन 300 रुपये मेहनताना देने के साथ ही समय-समय पर प्रशिक्षण भी देते हैं।

सजवाण ने बताया कि वर्ष 2017 में प्रसाद योजना शुरू होने से पहले चैलाई का उत्पादन बेहद सीमित हो गया था, जबकि अब इसके उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि वे 55 रुपये प्रति किलो के हिसाब से किसानों से चैलाई की खरीद करते हैं। अगले वर्ष के लिए 100 क्विंटल चैलाई की खरीद के लिए किसानों को उत्पादन करने को कहा गया है। इसके अलावा बेल पत्री का उत्पादन करने वाले किसानों को भी योजना का सीधा लाभ मिला है।