डीएम के एक्शन से कर्मचारियों में हड़कंप

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हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत ने नरेश चौधरी के करीब एक दशक के तिलिस्म को तोड़ने के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों को अपने कार्य के प्रति ईमानदारी और जिम्मेदारी से कार्य करने का संदेश भी दिया है।

डीएम की इस कार्रवाई से चापलूसी करने वाले अधिकारियों की हवा निकल गई है। डीएम के सख्त तेवर देखने के बाद सरकारी अधिकारियों में कर्तव्य बोध का अहसास हुआ है।मीजेल्स रूबैला की जागरूकता रैली में स्कूली बच्चों को रैली कराने के बाद भूखे पेट घर भेजने की खबर का जिलाधिकारी दीपक रावत ने कड़ा संज्ञान लिया। डीएम दीपक रावत तत्काल एक्शन में आ गये। उन्होंने रैली के संयोजक रहे नरेश चौधरी के सरकारी वाहन को कलेक्ट्रेट में खड़ा करा दिया तथा उनको अपने विभाग में रहकर कार्य करने का आदेश दिया है। इसी के अलावा उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और सूचना विभाग से भी स्पष्टीकरण मांगा। जब डीएम के नरेश चौधरी पर एक्शन की खबर सोशल मीडिया में वायरल हो गई तो एकाएक सभी विभागों में खलबली मच गई। नरेश चौधरी के प्रभाव और रसूख की चर्चा होने लगी। बतादें कि करीब एक दशक से नरेश चौधरी के प्रभाव का हरिद्वार के प्रशासन में पूरी तरह कायम था। सभी सरकारी कार्यक्रमों में नरेश चौधरी डीएम से भी आगे दिखाई देते रहे। पूर्व के जिलाधिकारियों का हाथ सिर पर होने के चलते नरेश चौधरी के खिलाफ आवाज उठाने का साहस किसी में दिखाई नहीं दिया। हरिद्वार के पूर्व के एसडीएम और पीसीएस अफसर कुछ बोल पाने की हिम्मत नहीं दिखा पाये लेकिन हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत ने बच्चों को भूखा रखने के प्रकरण का पूरी गंभीरता से संज्ञान लेकर नरेश चौधरी पर सख्त कार्रवाई की। इसके बाद हरिद्वार के सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों और प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। प्रशासनिक अधिकारियों की चापलूसी कर गैर जिम्मेदार अधिकारियों की हवा निकल गई लेकिन डीएम की इस कार्रवाई ने हरिद्वार जनपद में एक सख्त और बच्चों के प्रति संवेदनशील प्रशासनिक अधिकारी होने का आभास करा दिया है।