मुकेश खुग्साल एक ऐसा नाम है जो कम उम्र में अपने नाम से ही पहचाने जाते हैं।गले में केनन 5-डी और 6-डी टांगे हुए मुकेश को उत्तराखंड के किसी भी ऐसी जगह देखा जा सकता है जहां तस्वीरों से कोई कहानी बयां की जा सके।फिर चाहे वो उनके क्षेत्र में हो या उत्तराखंड से बाहर। वैसे तो मुकेश की पैतृक जड़े पौड़ी से हैं, लेकिन उनके माता पिता अपने शुरुआती दिनों में ही दिल्ली शिफ्ट हो गये थे। दिल्ली में उनके पिता सुरेंद्र खुग्साल सरकारी विभाग में कार्यरत थे और उनकी मां गोदावरी हाउस वाईफ हैं।
मुकेश का तस्वीरों की दुनिया से पहला सामना अपने चचेरे भाई को देखकर हुआ जो फोटोग्राफी की दुनिया में अपनी मंज़िल तलाश रहे ते।मुकेश उनसे बहुत प्रभावित थे और फोटोग्राफी की दुनिया में जाने के लिए अपना मन बना चुके थे। दिल्ली यूनिर्वसिटी से आर्ट स्ट्रीम में डिग्री लेने वाले मुकेश बताते हैं कि “मुझे लेंस के पीछे काम करने का लगभग 15 साल का अनुभव हैं, और मैं फोटो क्लिक करने से ज्यादा फोटो बनाने में विश्वास रखता हूं। मुझे असली भावनाएं और यादें अपने कैमरे में कैद करना पसंद हैं जिसको देख कर लोग अपनी पुरानी यादों में वापस जा सके।”
मुकेश फोटोग्राफी में कैमरे को रोल से अाजडिजीटल होते देखा है और बदलते समय के साथ उन्होंने पैंटेक्स कैमरे का इस्तेमाल भी किया है और आज टेक्नालीजी के साथ चलते हुए सबसे बेहतरीन रेंज के कैमरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुकेश बताते हैं कि “मैंने फोटोग्राफी की शिक्षा किसी और से नहीं बल्कि खुद से ली है,और इस प्रोफेशन ने मेरा अपने इर्द-गिर्द चीजों को देखने का नज़रिया बिल्कुल बदल दिया है। मैं अपनी आस-पास की चीजों में हमेशा कुछ नया तलाशने की कोशिश करता हूं,और प्रकृति की सुंदरता को एक सुलझे हुए मनुष्य की तरह अपने कैमरे में कैद करने में विश्वास रखता हूं।”
मुकेश ने फोटोग्राफी में पारंगत हासिल की है और अपना दायरा केवल लैंडस्केप, वाईल्ड लाईफ और मानयूमेंटल फोटोग्राफी तक सीमित नहीं रखा। फोटोग्राफी की दुनिया में कदम रखने के बाद लगभग हर क्षेत्र चाहें वो पोर्टफोलियो, इंडस्ट्रीयल फोटोग्राफी, कार्पोरेट, वेडिंग, फैशन शो और लाईव शो में भी फोटोग्राफी की है।
नंदा देवी राज जात में मुकेश के कैमरे से ली हुई एक फोटो पेरिस में आयोजित तीसरे ग्लोबल लैंडस्केप फोरम-दिसंबर-2015 के एक्जिबिशन में दिखाई गई थी जहां उन्हें बहुत सराहना मिली। मुकेश द्वारा किए गए कार्य में “फारेस्ट फ्राम वेयर वी गेट फूड फार आवर एनिमलस सो दैट वी कैन सरवाईव” को भी 2012 में गैंगटोक में आयोजित दूसरे इंडियन माउंटेन इनिशिएटिव सम्मीट में काफी प्रोत्साहन मिला था।
मुकेश ने इन सालों में कई कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया है जिसमें 2015 में मसूरी मे आयोजित मसूरी राईटर माउंटेन फेस्टिवल, नंदा देवी- ए स्टोरी आफ हिमालयन गाडेज, विरासत देहरादून 2015, दिल्ली फोटो फेस्टिवल 2015, कलर आफ उत्तराखंड, मुंबई(कौथिग) 2014 और 2105, शेड्स आफ दिल्ली- इंडियन हैबिटेट सेंटर और हाल ही में उनका लेटेस्ट एक्जिबीशन आकलैंड,न्यूजीलैंड में 16 अप्रैल- बडूली 2017 में हुआ।
मुकेश खुग्साल ने लाईट के माध्यम से इस कला में अपने आप को रचा बसा लिया है और अपनी आंखों को इस तरीके से ट्रेनिंग दी है कि वह अनदेखे और अनछुए पलों को बहुत सी खूबसूरती से अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं। मुकेश का मानना है कि वो अपने कैमरे के ज़रिये मौजूदा पीढ़ी के साथ साथ आने वाले पीढ़ियों के लिए खूबसूरत यादें संजो रहे हैं।