स्पीकआउट के जिया से न्यूजपोस्ट की छोटी सी मुलाकात

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    25 साल के जिया कुरैशी एक ऐसे युवा है जो हमेशा से कुछ अलग करना चाहते थे और बहुत जल्दी ही उन्हें पता चल गया था कि वह अपने आप को कहां देखना चाहते हैं। ‘स्पीकआउट’ को शुरु करने का फैसला जिया ने बहुत पहले ही कर लिया था लेकिन इसकी शुरुआत उन्होंने अगस्त 2016 से की। ग्राफिक एरा यूनिर्वसिटी, देहरादून से ग्रेजुएशन करने के बाद वह बैंगलोर में सर्वर एनालिस्ट कर रुप मे काम कर रहे हैं। नैनीताल में पले बड़े जिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमतुल पब्लिक स्कूल, नैनीताल से की है और यहीं से जिया ने खुद से कुछ अलग करने का सोचा। ‘स्पीकआउट फाउंडेशन’ जिया की मां ने शुरु किया और उसे सहयोग उनके दोस्त दे रहे हैं।

    टीम ‘न्यूजपोस्ट’ से जिया की खास बातचीत में उन्होंने बताया कि, ”उन्हें लिखने का शौक हमेशा से था और वह अपने फेसबुक वॉल पर आए दिन कुछ ना कुछ लिखते रहते थे। एक दिन जिया ने सोचा कि जैसे मैं लिखता हूँ वैसे क्यों ना दूसरों के लिखे काम को फेसबुक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए?”।बस इसी सोच के साथ उन्होंने ‘स्पीकआउट’ की शुरुआत की।

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    शुरुआत में स्पीकआउट के काम फॉलोवर थे लेकिन अब लगभग तीन हजार फॉलोवर के साथ ‘स्पीकआउट’ ने लोगों के दिलों में जगह बना ली है। जिया कहते हैं कि, ”एक वो दिन था और एक आज का दिन है ‘स्पीकआउट’ रुका नहीं, बहुत सी वर्कशॉप, ओपन माइक सेशन और अब एक किताब लांच कर चुके  है।”

    जिया को किस बात ने स्पीकआउट शुरु करने के लिए उत्सुक किया?वह कहते हैं कि, ”मैं अपने व्यक्तिगत फेसबुक प्रोफाइल में अपने विचार लिखता था, एक दिन मैंने सोचा कि लोगों से उनके लेखों को साझा करने के लिए क्यों न पूछें जिन्हें मैं दुनिया के सामने संपादित और पेश कर सकूं ?  मैंने लोगों से प्रतिक्रिया लेनी शुरू की, मैंने इसे एक ऐसी शुरुआत की जहां सभी लेखकों को उनके लेखन साझा करने का मौका मिले।” 2016 के अगस्त में लेखकों को एक साथ लाने के लिए फेसबुक पेज शुरू किया। “पहले दिन जब मैने स्पीकआउट के लिए लिखा तब मैंने अपने एफबी प्रोफाइल पर लिखा था कि मैं पेज के लिए लेखों को आमंत्रित कर रहा हूँ, और उस वक्त मेरे पास केवल एक एंट्री थी, अब हमारा पेज 3000 फॉलोवर के साथ मजबूत है। उस दिन से आज तक यह प्लेटफार्म वर्कशॉप, ओपन माइक और किताबों के साथ आगे बढ़ रहा हैं।” साथ ही स्पीकआउट किसी एक फॉर्म को प्रमोट नहीं करता वह कविता, शॉर्ट स्टोरी, गाना, शायरी हो या कुछ भी क्रिएटिव हो स्पीकआउट उस काम को लोगों के सामने लाता है। किसी की भावनाओं की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना और इस क्षेत्र में मान्यता लाने के लिए ऐसे सभी कलाकारों को एक साथ लाने के लिए ‘स्पीकाउट’ एक अकेला प्लेटफॉर्म है।

    जिया से ये पूछने पर कि वह ‘स्पीकआउट’ के प्रदर्शन से वह कितने संतुष्ट हैं? इसपर उनका जवाब था, “मैं छोटे लक्ष्यों को पाने में विश्वास करता हूं, जो कम समय-सीमाओं और लक्ष्यों के अंदर हासिल की जा सकती हैं।  इसलिए मैं स्पीकाउट के प्रदर्शन से संतुष्ट हूं।” जिया ने कहा कि, “एक साल की छोटी से समय-सीमा के अंदर हमने न केवल एक मंच मान्यता हासिल की है, बल्कि बंगलौर, लखनऊ और देहरादून जैसे स्थानों में वर्कशॉप और ओपन माईक का आयोजन किया है, और इसके अलावा हमारी पुस्तक का पहला संस्करण भी हाल ही मे लॉन्च हुआ।”

    जिया से यह पूछने पर कि वह ‘स्पीकआउट’ को कैसा देखना चाहते हैं, इसपर जिया ने कहा कि ” जहां तक योजनाओं का संबंध है, मैं क्रिएटिवी को अभिव्यक्त करने के लिए सभी संभावित क्षेत्रों को शामिल करने के लिए काम करना जारी रखना चाहता हूं, अवसरों की तलाश जारी रखने के लिए कि हम अपने ‘स्पीकआउट’ परिवार में अधिक से अधिक कलाकार, अधिक भौगोलिक कवरेज, अलग-अलग फॉर्म और विविध प्लेटफार्म शामिल करने पर काम कर रहे हैं”।

    जिया से पूछने पर कि बीटेक करने के बाद साहित्य में झुकाव कैसे, इसपर उनका जवाब था कि, “मुझे लगता है कि यह सवाल गलत रूप से तैयार किया गया है। यह हमेशा बीटेक और साहित्य,स्कूलिंग और साहित्य रहा है।और मैं इसे साहित्य की बजाय क्रिएटिवीटी कहना चाहूंगा। यह केवल एक माध्यम नहीं है, बल्कि यह व्याख्यान प्रस्तुति, संगीत, नाटक,शॉर्ट स्टोरी या किसी भी रूप में हो सकती है, और हर कोई जानता है कि हम इंजीनियर बहुत क्रएटिव होते हैं, और हम जानते हैं कि हमारे काम के साथ अपने पैशन को कैसे पाना है।”